सरकार ने बीते जुलाई में चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए पांच साल में पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की घोषणा की थी। उस समय विशेषज्ञों ने सुस्त रफ्तार को देखते हुए इस लक्ष्य को पाने में संदेह जाहिर किया था। उन्हें वास्तविकता का अहसास था कि देश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, ऐसे में पांच ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की बात करना बेमानी है। विशेषज्ञों की इस आशंका और मांग में सुस्ती और नौकरियों के संकट से बदहाली का संकेत देती अर्थव्यवस्था के वास्तविक संकट पर सरकार के ताजा आंकड़ों ने मुहर लगा दी है। दरअसल देश की आर्थिक विकास दर चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पांच फीसदी रह गई है जो न सिर्फ मोदी सरकार के सवा पांच के कार्यकाल की सबसे सुस्ती रफ्तार है, बल्कि छह साल में सबसे धीमी विकास दर है।
पिछले साल इसी तिमाही में रफ्तार थी आठ फीसदी
देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में उत्पादन घटने और कृषि क्षेत्र की विकास दर सुस्त पड़ने के कारण आर्थिक विकास दर में तीखी गिरावट आई है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर गिरकर पांच फीसदी रह गई है जो मोदी सरकार के कार्यकाल की सबसे कम रफ्तार है। जबकि इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में विकास दर 5.8 फीसदी थी। पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर आठ फीसदी रही थी।
सुस्त मांग और रोजगार संकट से पहले मिले थे संकेत
ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, रियल्टी, एफएमसीजी समेत तमाम सेक्टरों में मांग सुस्त पड़ने और कारोबार में सुस्ती से लाखों नौकरियां जाने की खबरें पहले ही आ रही थीं। देश के गंभीर आर्थिक संकट के संकेत मिल रहे थे। सरकार के ताजा आंकड़ों ने आर्थिक क्षेत्र की बदहाली पर मुहर लगा दी है।
मैन्यूफैक्चरिंग में रफ्तार सिर्फ 0.6 फीसदी
आज शाम जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) पहली तिमाही घटकर सिर्फ 0.6 फीसदी पर रह गया है जबकि पिछले साल इसी तिमाही में जीवीए 12.1 फीसदी पर था।
कृषि क्षेत्र की रफ्तार दो फीसदी रह गई
इसी तरह कृषि क्षेत्र में जीवीए 5.1 फीसदी से घटकर दो फीसदी रह गया है। कंस्ट्रक्शन सेक्टर में जीवीए की विकास दर 9.6 फीसदी से घटकर 5.7 फीसदी रह गई है। हालांकि माइनिंग सेक्टर में जीवीए विकास दर 0.4 फीसदी से बढ़कर 2.7 फीसद हो गया।
सात साल पहले रही थी 4.9 फीसदी रफ्तार
आर्थिक विकास सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इससे पहले 4.9 फीसदी विकास दर अप्रैल-जून 2012-13 में दर्ज की गई थी। बीते वित्त वर्ष के दौरान रफ्तार आठ फीसदी रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के बयान के अनुसार स्थिर मूल्य (आधार वर्ष 2011-12) पर सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 35.85 लाख करोड़ रुपये पर रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में जीडीपी 34.14 लाख करोड़ रुपये पर रहा। इस तरह विकास दर पांच फीसदी दर्ज की गई।
पूंजी निर्माण में भी रही सुस्ती
ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (जीएफसीएफ) चालू वित्त वर्ष की तिमाही में 11.66 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 11.21 लाख करोड़ रुपये पर था। जीएफसीएफ से देश में पूंजीगत निवेश का अनुमान लगता है। वर्तमान और स्थिर मूल्यों पर जीडीपी के मुकाबले जीएफसीएफ क्रमशः 29.7 फीसदी और 32.5 फीसदी रहा जो पिछले साल इसी तिमाही में क्रमशः 30 फीसदी और 32.8 फीसदी था।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने क्या कहा?
मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यन ने कहा कि सरकार आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। सुब्रमण्यन ने आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा, "वृद्धि में सुस्ती घरेलू और ग्लोबल कारणों की वजह से है।"
उन्होंने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए सभी कदम उठा रही है और विश्वास व्यक्त किया है कि देश "बहुत जल्द" उच्च विकास पथ पर होगा। सुब्रमण्यन ने कहा है कि केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में गति लाने के लिए कई उपाय कर रही है, जो वित्त मंत्री की हालिया ऐलान में झलकती है। उन्होंने कहा कि सरकार पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य हासिल करने तथा अर्थव्यवस्था की सेहत को सुधारने के लिए सजग है।