भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक साल पहले की तुलना में 8.6 फीसदी घटने का अनुमान है।
इस तरह लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी घटने के साथ देश पहली बार मंदी में घिरा है। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के प्रभाव से पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत का संकुचन हुआ था।
दूसरी तिमाही के जीडीपी के सरकारी आंकड़े अभी नहीं आए है लेकिन केंद्रीय बैंक के अनुसंधानकर्ताओं ने तात्कालिक पूर्वानुमान विधि का प्रयोग करते हुए अंदाजा लगाया है कि सितंबर तिमाही में संकुचन 8.6 फीसदी तक रहा होगा।
इन अनुसंधानकर्ताओं के विचार बुधवार को जारी आरबीआई के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित हुए हैं। आरबीआई ने पहले ही अनुमान लगा रखा है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 9.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
आरबीआई के अनुसंधानकर्ता पंकज कुमार द्वारा तैयार की गयी अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि 'भारत तकनीकी रूप से 2020-21 की पहली छमाही में अपने इतिहास में पहली बार आर्थिक मंदी में चला गया है। ‘इकोनॉमिक एक्टिविटी इंडेक्स' यानी आर्थिक कामकाज का सूचकांक शीर्षक से लिखे गये लेख में कहा गया है कि लगातार दूसरी तिमाही में आर्थिक संकुचन होने का अनुमान है। हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि गतिविधियां धीरे-धीरे सामान्य होने के साथ संकुचन की दर कम हो रही है और स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि भारत की अर्थव्यवस्था में इस अप्रत्याशित गिरावट की वजह कोरोना लॉकडाउन रहा है। भारत में लॉकडाउन विश्व में सबसे अधिक लंबे वक्त तक रहा और सख़्ती से इसे लागू किया गया। इस दौरान पूरी आर्थिक गतिविधियाँ ठप पड़ गईं। उद्योग-धंधे बंद पड़ गए। करोड़ों लोग बेरोज़गार हो गए। और इसका प्रभाव अर्थव्यवस्था पर दिखा। तभी तो जून की तिमाही में जीडीपी विकास दर नेगेटिव में 23.9 प्रतिशत चली गई।