वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा, डिजिटल माध्यमों से लेन-देन से जहां एक तरफ करीब 46 प्रतिशत कर देनदारी में कमी आएगी, वहीं छोटी कंपनियां अपने बही-खातों को समृद्ध कर पाएंगी जिससे उन्हें बैंक कर्ज आसानी से मिलने में मदद मिल सकती है।
बयान के अनुसार साथ ही अगर बैंक चैनलों के जरिये लेन-देन होता है तो जिसका भी सालाना कारोबार 66 लाख रुपये तक है तो धारा 80 सी का लाभ उठाने के बाद उन पर कर देनदारी शून्य होगी। इससे पहले, जेटली ने दिन में कहा था, इसका मकसद है कि अगर आप डिजिटल लेन-देन करते हैं, आप कम कर दे सकते हैं। यह अर्थव्यवस्था में डिजिटलीकरण को समर्थन देने के लिये कर प्रोत्साहन है। और अगर हम इसका विश्लेषण करते हैं तो डिजिटल माध्यम से लेनदेन करने वाले व्यापारियों को 30 प्रतिशत से अधिक लाभ मिलेगा।
उन्होंने कहा कि 2016-17 के बजट में दो करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले छोटे व्यापारी एवं कारोबारी, जिनके पास खातों का उपयुक्त ढंग से रखरखाव नहीं होता है, कर लगाने के उद्देश्य से उनका मुनाफा 8 प्रतिशत माने जाने की बात कही गयी है। लेकिन अगर वे भुगतान प्राप्ति डिजिटल साधनों से करते हैं तो उनका मुनाफा कारोबार का 6 प्रतिशत माना जायेगा न कि 8 प्रतिशत।
आयकर कानून, 1961 की धारा 44एडी के तहत जिन करदाताओं (व्यक्तिगत, अविभाजित हिंदू परिवार (एचयूएफ) या एलएलपी के अलावा भागीदारी वाली कंपनी) का कारोबार दो करोड़ रुपये या उससे कम है, इसमें करारोपण के लिये लाभ कुल कारोबार का आठ प्रतिशत माना जाएगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कल एक अधिसूचना में कहा, ....कानून की धारा 44एडी के तहत लाभ आठ प्रतिशत माने जाने की मौजूदा दर को कम कर 6 प्रतिशत करने का निर्णय किया गया है। यह 2016-17 के लिये बैंक चैनल : डिजिटल माध्यमों से प्राप्त कुल कारोबार या सकल प्राप्ति की राशि के संदर्भ में लागू होगा।
यह फैसला सरकार के अर्थव्यवस्था में नकदी के कम उपयोग के लक्ष्य हासिल करने और डिजिटल माध्यमों से भुगतान स्वीकार करने वाले छाटे कारोबारियों : कंपनियों को प्रोत्साहन देने के मकसद से किया गया है।
भाषा