उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की समीक्षा शुरू की है जिससे जरूरी होने पर निर्यात योजनाओं में मध्यावधि का सुधार किया जा सके। सीतारमण ने कहा कि लॉजिस्टिक्स सबसे बड़े मुद्दों में है। इससे दक्ष निर्यातक के लिए लागत प्रतिस्पर्धा अव्यावहारिक हो जाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भी इस तथ्य के बारे में जानते हैं कि लॉजिस्टिक्स लागत हमारे निर्यात के लिए क्या करती है।
मंत्री ने कहा, हमारी इन मुद्दों पर कई बार चर्चा हुई है कि लघु अवधि में इनसे कैसे निपटा जाए, लेकिन लॉजिस्टिक्स दीर्घावधि का मुद्दा है।
सीतारमण ने कहा, सरकार की प्राथमिकता निश्चित तौर पर यह है कि लॉजिस्टिक्स की चुनौतियों को कैसे कम किया जाए, चाहे वह सड़क का मामला हो या अंतर्देशीय जलमार्गों का। नए जलमार्गों की पहचान और बंदरगाहों में सुधार करना अन्य प्रमुख मुद्दे हैं। वाणिज्य मंत्री सीतारमण ने बताया कि मंत्रालय सभी बंदरगाहों के इलेक्ट्रानिक डेटा इंटरचेंज (ईडीआई) पर भी काम कर रहा है। सीमा शुल्क विभाग और वाणिज्य मंत्रालय दोनों इस पर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती के लिए रेलवे के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कराधान एक और जटिल मुद्दा है। उन्होंने कहा, आप कर के ऊपर कर नहीं दे सकते। निर्यातकों पर भी निर्यात करने के लिए कर नहीं लगाया जा सकता। हमें इस मुश्किल का पता है और मैं जानती हूं कि सिर्फ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) इसका समाधान नहीं दे सकता।
सीतारमण ने कहा कि चूंकि कराधान मामलों में राज्य भी शामिल हैं, सरकार इस पर उनके साथ राय बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, कर का सरलीकरण सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। हम निश्चित रूप से इन मुद्दों को हल करेंगे।
मंत्री ने बताया कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने निर्यातकों के मुद्दों पर विचार के लिए 36 बंदरगाह अधिकारियों के साथ दो दिन की कार्यशाला शुरू की है।
भाषा