देश में पहली बार किसी एनबीएफसी के खिलाफ दिवालिया (बैंकरप्सी) कार्रवाई शुरू की गई है। यह कंपनी है दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड यानी डीएचएफएल। दिवालिया कार्रवाई के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में बैंकिंग और फाइनेंस रेगुलेटर रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को याचिका दायर की। यह भी पहली बार हुआ है।
रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) की धारा 227 के तहत इसने एनसीएलटी में आवेदन किया है। आवेदन पर फैसला होने तक इसने कंपनी द्वारा सभी तरह के भुगतान पर भी रोक लगा दी है। सरकार ने 15 नवंबर 2019 को ही इस धारा को अधिसूचित किया था। इससे पहले फाइनेंस कंपनियों को दिवालिया कानून के दायरे से बाहर रखा गया था।
आरबीआई ने नियुक्त किया था एडमिनिस्ट्रेटर
आरबीआई ने इसी महीने की शुरुआत में कहा था कि वह डीएचएफएल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करेगा। डिफॉल्ट की आशंका को देखते हुए 20 नवंबर को इसके बोर्ड को अमान्य करते हुए रिजर्व बैंक ने इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व चेयरमैन आर. सुब्रमण्यकुमार
को कंपनी का एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया था। 22 नवंबर को आरबीआई ने तीन सदस्यों वाली सलाहकार समिति भी बना दी थी। इसमें आइडीएफसी फर्स्ट बैंक के नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन राजीव लाल, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस के एमडी एन.एस. कन्नन और म्यूचुअल फंडों की संस्था एम्फी के सीईओ एन.एस. वेंकटेश शामिल हैं। यह समिति दिवालिया प्रक्रिया के दौरान कंपनी के कामकाज में सुब्रमण्यकुमार की मदद करेगी।
डीएचएफएल पर 83,873 करोड़ रुपये बकाया
जुलाई 2019 में डीएचएफएल पर बैंकों, एनएचबी, म्यूचुअल फंडों और बांडधारकों के 83,873 करोड़ रुपये बकाया थे। इसमें से 74,054 करोड़ के कर्ज सिक्योर्ड और 9,818 करोड़ रुपये के कर्ज अनसिक्योर्ड थे। रिटेल निवेशक अनसिक्योर्ड वर्ग में ही आते हैं। एसबीआई समेत ज्यादातर बैंक डीएचएफएल को दिए कर्ज को अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में एनपीए घोषित करने वाले हैं। डीएचएफएल को कर्ज देने वाली संस्थाएं कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी लेने पर विचार कर रही थीं। लेकिन इस योजना की अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई थी। पिछले साल आइएलएंडएफएस के डिफॉल्ट करने के बाद से एनबीएफसी सेक्टर में है। इसे बैंकों की तरफ से कर्ज नहीं मिलने के कारण इनके सामने तरलता की समस्या आ गई है।