आरबीआई गवर्नर राजन ने नीतिगत ब्याज दर में कटौती का कदम उठाने में समय से पीछे रहने के आरोपों को डायलॉगबाजी करार देते हुए कहा कि वह इनपर ध्यान नहीं देते क्योंकि ऐसी बातों का कोई आर्थिक सिर-पैर नहीं है। राजन ने कहा, आपने देखा कि पिछले सप्ताह ही खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा आया जो 5.8 प्रतिशत है। हमारी नीतिगत ब्याज दर 6.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक इस समय करीब दो साल के उच्चतम स्तर पर है। यह केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रास्फीति के लक्षित दायरे के उच्चतम स्तर पर है। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को 2 से 6 प्रतिशत के दायरे में सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि लोगों की बात मुझे समझ नहीं आती कि हम कहां समय से पीछे हैं। आप को यह बताना चाहिए कि देखिए यहां मुद्रास्फीति बहुत नीचे है। उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि वह इस तरह के डायलॉग पर वास्तव में कोई ध्यान नहीं देते।
राजन को अक्सर सरकार और उसकी नीतियों के आलोचक के रूप में देखा जाता रहा है। आर्थिक वृद्धि के संबंध में उन्होंने कहा कि आर्थिक हालात में सुधार की रफ्तार को लेकर जरूर बहुत अधिक निराशा है लेकिन रफ्तार में यह कमी देश में लगातार दो साल के सूखे, वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमजोरी और ब्रेक्जिट जैसे झटकों के कारण है। राजन की कुछ हलकों में इस बात के लिए सार्वजनिक रूप से तीखी आलोचना हुई है कि उन्होंने ब्याज दरों को अनावश्यक रप से उंचा रखा जिससे वृद्धि की संभावनाओं पर बुरा असर पड़ा। राजन ने अपने रुख के समर्थन में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दिशा का उल्लेख किया जो लगातार चौथे महीने बढ़कर जून में 5.77 प्रतिशत तक पहुंच गई है। पिछले दिनों राजन ने गवर्नर पद का दूसरा कार्यकाल लेने से मना करते हुए कहा था कि वह फिर से अध्ययन के क्षेत्र में लौटना चाहते है। उनका कार्यकाल 4 सितंबर को पूरा हो रहा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर की सख्त मौद्रिक नीति की आलोचना करते हुए भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने उन्हें पद से हटाने की मांग की थी और कहा था कि वह मानसिक तौर पर पूरी तरह भारतीय नहीं हैं। यह पूछने पर अपने उत्तराधिकारी के लिए उनका क्या संदेश होगा, राजन ने कहा, मौद्रिक नीति का इंतजार करें। आरबीआई की अगली द्वैमासिक मौद्रिक नीति नौ अगस्त को जारी होगी। अर्थव्यवस्था के आड़े आ रही है चुनौतियों के बारे में राजन ने कहा, मुझे लगता है कि काफी समय से चुनौतियां एक जैसी हैं जिससे हम आर्थिक हालात के सुधार की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान ऐसे उन सभी कार्यों पर होना चाहिए जिससे आर्थिक वृद्धि जोरदार और टिकाऊ हो सके और इसका अर्थ है वृहद आर्थिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए बुनियादी सुधार किए जाए। हमें उसी पर ध्यान देना चाहिए न कि इस बात पर कि आर्थिक वृद्धि आधा प्रतिशत कम हुई है या आधा प्रतिशत अधिक।