वैश्विक बाजारों में ईरानी तेल सप्लाई न होने से तेल की कीमतें ऐसे ही आसमान छू रही थीं कि अब खबर आ रही है कि अमेरिका समेत कई यूरोपियन देश रूसी तेल पर भी प्रतिबंध लगा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो तेल की कीमत आग की तरह बढ़ेगी और इससे आमलोगों के जीवन पर भी अच्छा-खासा असर पड़ेगा। बता दें कि ईरानी तेल पर प्रतिबंध लगने के बाद ही वैश्विक बाजारों में तेल की कीमत 2008 के 'ग्रेट डिप्रेशन' से ऊपर पहुँच चुकी है।
रविवार को व्यापार के पहले कुछ मिनटों में ही मार्केट के दोनों बेंचमार्क जुलाई 2008 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। ब्रेंट 139.13 डॉलर प्रति बैरल तो वहीं डब्ल्यूटीआई (WTI) 130.50 डॉलर पर था। इधर आईएमएफ ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि यदि रूस और यूक्रेन के बीच जारी गतिरोध जल्द नहीं रुकता है तो वैश्विक आर्थिक क्षति और अधिक विनाशकारी होगी।
बता दें कि रूस और यूक्रेन विवाद के कारण तेल की आपूर्ति में आई कमी के कारण कच्चे तेल की कीमत सोमवार को 14 साल के उच्च स्तर 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई। चिंताजनक रूप से, रूस-यूक्रेन संकट के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वैश्विक वृद्धि से भारत के पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों में 30 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि होने की उम्मीद है। हाल ही में, तेल की आपूर्ति बाधित होने के डर से कच्चे तेल की कीमतों में पिछले तीन दिनों में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते कच्चे तेल की कीमतों में लगातार उछाल आया है। 2 मार्च को, ब्रेंट-इंडेक्स्ड कच्चे तेल की कीमत बढ़कर 111 डॉलर प्रति बैरल हो गई। 1 मार्च को यह बढ़कर 102 डॉलर प्रति बैरल हो गया था, जो 28 फरवरी को 98 डॉलर प्रति बैरल था। वर्तमान में रूस दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। यह आशंका है कि रूस के खिलाफ नए और अधिक कड़े प्रतिबंध वैश्विक आपूर्ति को कम कर देंगे और वैश्विक विकास को प्रभावित करेंगे।
माना जा रहा है कि रूस-यूक्रेन विवाद और बढ़ता है तो भारत पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है। जानकर बता रहे हैं कि चुनाव बाद पेट्रोल और डीजल कीमतों में 10 रुपये से 30 रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है।