Advertisement

ट्राई ने माना, टीवी चैनल टैरिफ की नई व्यवस्था वितरकों ने की बर्बाद, ये हैं उपभोक्ताओं की शिकायतें

टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने कहा है कि टीवी चैनल की नई प्राइसिंग व्यवस्था लागू होने के बाद वितरकों ने...
ट्राई ने माना, टीवी चैनल टैरिफ की नई व्यवस्था वितरकों ने की बर्बाद, ये हैं उपभोक्ताओं की शिकायतें

टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई ने कहा है कि टीवी चैनल की नई प्राइसिंग व्यवस्था लागू होने के बाद वितरकों ने इसका दुरुपयोग शुरू कर दिया है। वितरकों ने टीवी चैनल की प्राइसिंग में प्रतिस्पर्धा को एक तरह के बाधित कर दिया है। चैनल की प्राइसिंग और चयन की दिक्कतें सामने आने के बाद ट्राई ने सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं।

ट्राई ने मार्च 2017 में ब्रॉडकास्टिंग और केबल सेवाओं के लिए नए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क की अधिसूचना जारी की थी। इसे 29 दिसंबर 2018 को लागू कर दिया गया। टेलीविजन और ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के लिए ट्राई के नए नियमन और आदेशों से उपभोक्ता को टीवी चैनल चुनने की आजादी मिली है।

प्राइसिंग में पारदर्शिता लेकिन चैनल चुनने की आजादी नहीं

ट्राई के बयान से के अनुसार विश्लेषण से पता चला है कि नए नियम लागू होने के बाद टीवी चैनल की प्राइसिंग में पारदर्शिता बढ़ी है। समूचा कारोबार व्यवस्थित होने से विभिन्न पक्षों के बीच विवाद भी कम हए हैं। लेकिन उपभोक्ताओं को टीवी चुनने की आजादी नहीं मिल पायी है।

चैनल बुके में भारी डिस्कांउट से समस्या

ट्राई ने ब्रॉडकास्टिंग और केबल सेवाओं के लिए टैरिफ संबंधी मुद्दों पर पर परामर्श पत्र जारी किया है। नियामक ने कहा कि उम्मीद थी कि नई व्यवस्था में दिए गए लचीलेपन से ब्रॉडकास्टर और डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफार्म ऑपरेटर (डीपीओ) उपभोक्ताओं की चिंताएं दूर करेंगे और अपेक्षाएं पूरी करेंगे। लेकिन वितरकों ने इसका इस्तेमाल अलग-अलग चैनलों के मूल्यों में प्रतिस्पर्धा खत्म करने के लिए किया। उन्होंने बुके में भारी डिस्काउंट देकर अलग-अलग चैनल की प्राइसिंग व्यवस्था को नाकाम कर दिया।

चैनल टैरिफ पर 70 फीसदी तक डिस्काउंट

ट्राई ने कहा कि ब्रॉडकास्टरों ने नई व्यवस्था के तहत जो टैरिफ तय किया। उसके मुकाबले बुके में चैनल की कीमत पर 70 फीसदी तक डिस्काउंट देना शुरू कर दिया। इससे बुके व्यवस्था पहले की तरह लागू बनी रही। बुके में चैनल टैरिफ पर डिस्काउंट देने पर कोई प्रतिबंध न होने के कारण अलग-अलग चैनल प्राइसिंग व्यवस्था बेकार साबित हो गई। जबकि नई व्यवस्था में अलग-अलग चैनल प्राइसिंग अहम थी ताकि उपभोक्ता अपनी पसंद के चैनल चुन सकें।

एक जैसे बुके की भरमार, उपभोक्ता भ्रमित

ट्राई ने कहा कि बुके में चैनल की संख्या पर कोई प्रतिबंध न होने से भी समस्या पैदा हो गई और ब्रॉडकास्टर और वितरकों ने तमाम बुके पेश कर दिए। एक जैसे चैनलों के कई बुके पेश कर दिए गए। बुके की बड़ी संख्या होने के कारण उपभोक्ताओं में न सिर्फ भ्रम पैदा होने लगा बल्कि चैनल चुनने की उनकी आजादी भी बाधित हुई।

इन मुद्दों पर ट्राई करेगा परामर्श

ट्राई ने उपभोक्ता और उनके संगठनों सहित विभिन्न पक्षों से विस्तृत चर्चा की थी। जिसमें पक्षकारों ने नेटवर्क कैपेसिटी फीस (एनसीएफ) में भारी भिन्नता, घर में कई टीवी होने पर एनसीएफ, लंबी अवधि के प्लान में डिस्काउंट और 100 मुफ्त चैनलों में डीडी चैनल होने के मसलों पर चिंताएं जताईं। नई व्यवस्था लागू होने के बाद हुई बातचीत में ये मुद्दे सामने आने के बाद ट्राई ने परामर्श पत्र जारी किया है और सभी पक्षों से सुझाव मांगे हैं। परामर्श पत्र में मुख्य रूप से बुके बनाने में दिए जाने वाले डिस्काउंट, बुके में चैनल शामिल करने के लिए टैरिफ की सीमा, बुके बनाने की आवश्यकता, एनसीएफ में भिन्नता और लंबी अवधि के प्लानों को शामिल किया गया है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad