Advertisement

मैट पर कर संधि लाभ चाहती हैं विदेशी कंपनियां

कर विशेषज्ञों ने कहा है कि वित्त मंत्री अरूण जेटली की विदेशी कंपनियों की कुछ आय पर मैट में छूट की घोषणा से विदेशी कंपनियों को राहत जरूर मिली है लेकिन सरकार को पिछले बकाये के लिए कर संधि लाभों के बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
मैट पर कर संधि लाभ चाहती हैं विदेशी कंपनियां

संसद में वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी कंपनियों द्वारा प्रतिभूति की बिक्री के साथ-साथ रॉयल्टी, ब्याज, तकनीकी सेवा शुल्क से प्राप्त सभी पूंजीगत लाभ पर मैट (न्यूनतम वैकल्पिक कर) से छूट मिलेगी बशर्ते इस प्रकार की आय पर कर की सामान्य दर 18.5 प्रतिशत मैट की दर से कम हो। इस पर टिप्पणी करते हुए पीडब्ल्यूसी पार्टनर (कर एवं नियामकीय सेवाएं) सुरेश स्वामी ने कहा, वित्त मंत्री यह स्पष्ट कर सकते थे कि संधि (दोहरे कर से बचाव की संधि) के लाभ के तहत आने वाले एफपीआई को पिछले वर्षों के मैट के भुगतान से छूट होगी। इससे विदेशी निवेशकों को और विश्वास बढ़ता।  

उन्होंने कहा कि संभवत: पूर्व कर नोटिसों पर स्पष्टीकरण छह महीने बाद आएगा जब उच्चतम न्यायालय मारीशस स्थित कासटलेटोन इनवेस्टमें लि. पर निर्णय करेगा। अन्स्र्ट एंड यंग सुनील कपाडि़या (व्यापार कर) ने कहा कि विदेशी निवेशक निश्चितता चाहते हैं और मंत्री से कर मामलों में स्पष्टता चाहते हैं। उन्होंने कहा, स्पष्टीकरण से यह पता नहीं चलता कि पिछली अवधि के करारोपण मामले का क्या हुआ। यह विवादास्पद क्षेत्र बना हुआ है। विदेशी निवेशकों तथा सरकार के बीच पिछले साल यह मामला उस समय आया जब कर विभाग ने मैट के लिए एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) को नोटस भेजना शुरू किया।

यह नोटिस अथोरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग के निर्णय पर आधारित है। निर्णय में कैसलेटोन को मुनाफे पर मैट देने का निर्देश दिया गया है। अबतक सरकार ने 68 विदेशी निवेशकों को 602 करोड़ रुपये से अधिक का मैट नोटिस भेजा है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad