वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में 30 मार्च को राजपत्रित आदेश प्रकाशित किया और करदाता 31 जुलाई तक अपने आयकर रिटर्न भर सकते हैं। विभाग ने नए आईटीआर (आईटीआर-2 और 2ए) फर्मा में नया प्रावधान साल के अंत तक परिसंपत्ति एवं देनदारी किया है जो ऐसे मामलों में लागू होगा जिनमें कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक है। इस आयवर्ग में आने वाले व्यक्तियों और इकाइयों को ऐसी परिसंपत्तियों की कुल लागत का भी उल्लेख करना होगा।
इसलिए नई आईटीआर प्रणाली के तहत जमीन और मकान जैसी अचल परिसंपत्तियों, नकदी, जेवरात, सरार्फा, वाहन, याच, नाव और विमान जैसी चल परिसंपत्तियों की भी जानकारी कर अधिकारियों को देनी होगी। इन उच्च मूल्य वाली परिसंपत्तियों की जानकारी देने वालों को इस सामान से जुड़े उत्तरदायित्व का खुलासा करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘50 लाख रुपये सालाना से अधिक आमदनी दर्ज करने वालों के लिए नई खुलासा प्रणाली उच्च निवल मूल्य वाले लोगों और इकाइयों द्वारा की जाने वाली कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए बनाई गई है। उनका आयकर रिटर्न अब तक एक ही फार्म में शामिल होता था लेकिन अब कर अधिकारियों को सूचित करने के लिए नए विशिष्ट कॉलम आवश्यक है।’
पहली बार आईटीआर को सरकार की स्टार्टअप कारोबार को बढ़ावा देने के प्रमुख एजेंडे को ध्यान में रखकर इस क्षेत्र से आय अर्जित करने वालों के लिए एक अलग कॉलम लाया गया है। आईटीआर-2ए, ऐसे लोग या एचयूएफ दाखिल करेंगे जिनकी आय न तो कारोबार, प्रोफेशन या पूंजी लाभ के जरिये होती है और न ही उनके पास विदेशी परिसंपत्ति है। इसमें एक नया कॉलम पास थू्र इनकम (पीटीआई) है और इसके तहत आयकर अधिनियम (उद्यम पूंजी कंपनी में किए गए निवेश) कारोबार न्यास या निवेश कोष का ब्योरा मांगा गया है जो उभरती कंपनियों या स्टार्टअप कंपनियों से जुड़ा है।