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डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी, 71.56 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंचा

इस कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन यानी मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट जारी...
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी, 71.56 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंचा

इस कारोबारी सप्ताह के तीसरे दिन यानी मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट जारी है। दोपहर के बाद एक बार फिर गिरावट देखी गई जब एक डॉलर 71.56 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंचा। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की आशंकाओं के बने रहने के बीच आज सुबह रुपया गिरावट का नया रिकॉर्ड बनाते हुए 71.34 पर खुला।

वहीं, सोमवार को रुपया 21 पैसों की जोरदार गिरावट के साथ 71.21 रुपये प्रति डॉलर के नये ऐतिहासिक निम्न स्तर पर बंद हुआ था। सोमवार को मजबूत शुरुआत के बावजूद दोपहर के कारोबार में रुपया बुरी तरह से लड़खड़ा गया। कच्चे तेल की कीमतों में तेजी ने रुपये के प्रति धारणा प्रभावित किया।

बेंचमार्क ब्रेंट कच्चा तेल चढ़ कर 78 रुपये प्रति बैरल तक पहुंच गया। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच चालू खाते का घाटा बढ़ने तथा वैश्विक व्यापार युद्ध को लेकर बनी आशंकाओं के बीच बाजार में उथल पुथल दिखाई दिया।

सोमवार सुबह रुपया  70.80 पर खुला

इस बीच कच्चे तेल कीमत में वृद्धि होने के अनुरूप देश में पेट्रोल और कच्चे तेल के भाव भी नयी ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। रुपये में गिरावट से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने की आशंका कायम हो गई है। सोमवार सुबह रुपया 70.80 पर मजबूत खुला लेकिन देर दोपहर के कारोबार में यह रुख पलट गया।

गिरावट के साथ 71.21 प्रति डॉलर पर बंद हुआ रुपया

कारोबार के अंत में रुपया शुक्रवार के बंद की तुलना में 21 पैसे अथवा 0.30 प्रतिशत की गिरावट के साथ 71.21 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अन्तरमुद्रा कारोबार में यूरो और जापानी येन के मुकाबले रुपये में गिरावट आई जबकि पौंड के मुकाबले इसमें सुधार आया।

जानें इससे क्या पड़ सकता है असर

- रुपये में गिरावट की वजह से पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है। भारत अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा क्रूड इंपोर्ट करता है। इसके लिए डॉलर में भुगतान करना पड़ता है।

- विदेश घूमना और वहां पढ़ाई करना महंगा हो जाएगा। क्योंकि, करंसी एक्सचेंज के लिए ज्यादा रुपये चुकाने पड़ेंगे।

- एयरलाइंस को हो सकता है नुकसान। उन्हें दूसरे देशों से विमान किराए पर लेने के लिए ज्यादा रकम देनी पड़ेगी।

- आईटी और फार्मा कंपनियों को रुपये की गिरावट से फायदा मिलेगा। क्योंकि, उनका ज्यादातर कारोबार एक्सपोर्ट पर आधारित है।

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