नंबर गेमः अक्सर लोग रिटर्न भरने में अपनी आय का ब्योरा और पैन या टैन नंबर लिखने में गड़बड़ी कर बैठते हैं। आय-व्यय का सही-सही ब्योरा भरने के साथ ही आपको पैन या टैन नंबर ध्यान से भरना होगा।
फॉर्म चुनने में सावधानीः आयकर रिटर्न के नियमों में कुछ खास बदलाव किए गए हैं जिसके तहत अलग-अलग पेशे से जुड़े लोगों के लिए अलग-अलग फॉर्म निर्धारित किए गए हैं। लिहाजा अपने पेशे के हिसाब से ही सही फॉर्म चुनें।
फॉर्म 16 एक ही रखेंः कई लोग नौकरी बदलने के कारण एक ही वित्त वर्ष में दो-दो फॉर्म-16 का ब्योरा भर देते हैं, यह ठीक नहीं है।
बैंक का ब्योरा सही भरेंः बैंक खाता नंबर भरते समय करदाता आईएफएस कोड लिखने में गलती कर बैठते हैं। रिफंड अब चेक से नहीं बल्कि ईसीएस के जरिये ही भेजा जाने लगा है इसलिए इसमें कोई गलती न करें। बैंक खाता संख्या अमूमन 9 अंकों का होता है इसलिए रिटर्न में अच्छी तरह मिलान करके ही इसे भरें। सरकार ने आईटीआर में सभी बैंक खातों का ब्योरा भरना अनिवार्य कर दिया है लेकिन तीन साल से ज्यादा समय से निष्क्रिय खातों का ब्योरा देने की कोई जरूरत नहीं है।
आय स्रोत सही-सही भरेंः अपनी आय के स्रोत का जिक्र करते हुए आप करयोग्य और करमुक्त आय का सही-सही ब्योरा भरें। फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत से मिलने वाले ब्याज का भी जिक्र करें क्योंकि यह करयोग्य आय है।
फॉर्म का चयनः आजकल ज्यादातर लोग नौकरी करने के अलावा पार्ट टाइम काम भी करने लगे हैं। ऐसे लोगों को सलाह है कि वे किसी अकाउंटेंड से सलाह-मशविरा करके ही सही फॉर्म भरकर जमा करें। अमूमन ऐसे लोगों के लिए आईटीआर-4 या आईटीआर-5 ही इस्तेमाल होते हैं।
ऑनलाइन में सावधानीः ऑनलाइन आईटीआर की समस्त प्रक्रिया पूरी करें। आईटीआर-5 की प्रति ऑनलाइन जमा करने के बाद इस पर हस्ताक्षर करके डॉक द्वारा 120 दिनों के अंदर आयकर विभाग के सीपीसी, बेंगलूरू भी भेजने की व्यवस्था करें।