पिछले साल सबके सामने खुलकर अवसाद के खिलाफ अपनी लड़ाई, उसके बारे में सामाजिक जागरूकता की कमी और उससे जुड़े सामाजिक पूर्वाग्रह के बारे में दीपिका ने बात की थी। अपनी इस लड़ाई को आगे ले जाने के लिए वह एक साल लंबा अभियान ‘यू आर नॉट अलोन’ शुरू कर रही हैं।
दीपिका ने कहा, पिछले वर्ष मैंने अवसाद के खिलाफ अपनी लड़ाई के बारे में बात की थी। चूंकि मुझे लगा कि जो लोग मेरी ही स्थिति से गुजर रहे हैं उन्हें मैं यूं ही बैठे-बैठे देख नहीं सकती, इसलिए हमने यू आर नॉट अलोन शुरू किया। इसका लक्ष्य जागरूकता फैलाना और छात्रों तथा शिक्षकों को बेचैनी और अवसाद के लक्षणों की पहचान करने में सक्षम बनाना है।
दीपिका ने बेंगलुरू स्थित अपने स्कूल सोफिया हाई स्कूल से इस जागरूकता अभियान को शुरू किया है। इसमें 200 स्कूलों को शामिल किया जाना है। इसका लक्ष्य जागरूकता फैलाना, छात्रों और शिक्षकों को संवेदनशील बनाना और उन्हें बेचैनी तथा अवसाद के लक्षणों को पहचानने योग्य बनाना है।
आधिकारिक आंकड़े के अनुसार, प्रत्येक पांच में से एक छात्र मानसिक बीमारी का शिकार है जो बाद में क्रॉनिक अवसाद, आत्महत्या की ओर झुकाव और कामकाज से जुड़े तनाव में बदल सकता है। इसके कारण 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग में आत्महत्या करने की दर सबसे ज्यादा है।
अपने अभियान से इस बीमारी के बारे में 15 से 29 वर्ष के संवेदनशील वर्ग के बीच जागरूकता फैलाने को लेकर आशान्वित दीपिका का कहना है, 15 वर्ष से उपर का आयुवर्ग बहुत महत्वपूर्ण है और अपने अभियान में हम इसे शामिल करने की आशा कर रहे हैं। फाउंडेशन में विस्तार होने पर और काफी कुछ करना संभव होगा, लेकिन अभी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।