अभिनेता ने बीती शाम हैदराबाद में एस अगेंस्ट ऑड्स शीर्षक वाली सानिया की आत्मकथा के औपचारिक विमोचन के बाद संवाददाताओं से कहा, जब भी सानिया पर फिल्म बनेगी, मुझे लगता है कि वह बहुत प्रेरक और लाजवाब होगी। हल्के-फुल्के अंदाज में शाहरूख ने कहा, और... मैं नहीं जानता... आप उन्हीं से पूछें कि क्या वह मुझे उनके प्रेमी की भूमिका अदा करने की इजाजत देंगी। लेकिन, निश्चित तौर पर मैं इस फिल्म का निर्माण करूंगा।
शाहरूख ने यह उम्मीद जताई कि भारतीय खेलों पर आधारित फिल्में जल्दी ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम होंगी। उन्होंने कहा, जब भी किसी महिला खिलाड़ी या पुरूष खिलाड़ी पर फिल्में बनती हैं तो हम देशभक्ति से ओतप्रोत हो जाते हैं, चाहे वह दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों ना बनाई जाएं। जब भी किसी भारतीय खिलाड़ी की बात होती है तो आप अपने देश के लिए गर्व महसूस करते हैं। खान ने बताया, हमारे देश में संभवत: कुछ खेलों को छोड़कर कभी भी अंतरराष्ट्रीय पहचान नहीं बन पाई है। इंशा अल्लाह... यह बहुत जल्द होगा... क्योंकि चीजें अब गति पकड़ रही हैं। सानिया की किताब को प्रेरक बताते हुए अभिनेता ने कहा, मुझे लगता है कि इस तरह की किताब जाहिर तौर पर हम सभी को बहुत प्रेरणा देगी। जब आपके इरादे पक्के होते हैं तो कुछ भी आपके रास्ते नहीं आ सकता और न ही कोई रूकावट आ सकती है। मैं सच में इनमें यकीन करता हूं। मैंने हमेशा उनके (सानिया) कॅरियर का अनुसरण किया है और वह मेरे सहित तमाम खेल प्रेमियों के लिए ताजगी और बहुत खूबसूरती लेकर आई हैं। सानिया के साहस, दृढ़ निश्चय और चोट के बावजूद डबल्स खेल में शीर्ष रैंकिंग तक पहुंचने के लिए खेल के प्रति उनके लगाव की तारीफ करते हुए शाहरूख ने कहा, उन्हें (सानिया) चोट लगी थी और वह सिंगल्स में अपना खेल जारी नहीं रख सकीं, लेकिन उन्होंने वापसी की और डबल्स में नंबर वन बनीं। उन्होंने कहा इन सब बातों का मतलब यह है कि उन्होंने खेलों के लिए अपना प्यार कभी नहीं त्यागा ... और यही बात मुझे सानिया जैसी महान खेल हस्ती से जोड़ती है। सानिया जब भी कहीं हारीं... वह चूंकि देश का प्रतिनिधित्व करती हैं तो मेरे विचार से हम सबको लगा कि हम ही हारे हैं। एक सवाल की प्रतिक्रिया में खान ने कहा, मेरी यात्रा बहुत सौभाग्यशाली रही है। मुझे अपने रास्ते की कई बाधाएं याद नहीं पर मैं बहुत भाग्यशाली हूं। कभी-कभी तो मैं सोचता हूं कि शायद मैं इतनी तारीफ, प्यार और पहचान के काबिल नहीं हूं और इसके काबिल बनने के लिए मुझे और मेहनत करने की जरूरत है। अभिनेता ने आगे कहा कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है और इसे लगातार करते रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, अगर मैं सच में दुखी होता हूं तो मैं अपने बाथरूम में जाकर रोता हूं और फिर अपने आंसुओं को पोंछता हूं... वापस आता हूं या खुद को छिपाता हूं और फिर अगली सुबह उठता हूं और कड़ी मेहनत करता हूं। अगर मैं सफल हूं तो इसे बनाए रखने के लिए मुझे और मेहनत करनी पड़ेगी और अगर मैं असफल हूं तो फिर से सफलता हासिल करने के लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी होगी और तमाम दुश्वारियों से निपटने का यही एक रास्ता है। एक सवाल के जवाब में सानिया ने कहा, एक एथलीट के तौर पर मेरे लिए सबसे मुश्किल दौर 2010 का था जब तीसरी बार मेरी सर्जरी हुई थी और मैं सोचती कि मैं अब टेनिस खेलना छोड़ने जा रही हूं। मेरे लिए यह सबसे मुश्किल हिस्सा था क्योंकि मैं ऐसे काम को छोड़ने के लिए मजबूर हो रही थी जिसे करने में मुझे मजा आता है। कुछ महीनों के लिए मैं वाकई में अवसाद में थी।
एजेंसी