ओस की बूंदों की तरह अकीरा (सोनाक्षी सिन्हा) कभी खिली तो कभी गुम नजर आती है। मदर इंडिया से लेकर मारा-मारी तक हिंदी फिल्मों में खूब बदलाव आए हैं। मुरुगादॉस ने अपनी स्टाइल में वीमन एमपावरमेंट रचा है। इस फिल्म की एक और खासियत है, इंस्पेक्टर राबिया। राबिया (कोंकणा सेन शर्मा) को गर्भवती दिखा कर मुरुगादॉस ने अलग तरह का मेटाफर इस्तेमाल किया है, यही कि इस हालत में भी कोई स्त्री कमजोर नहीं है।
जय गंगाजल के बाद अनुराग कश्यप को भी एक्टिंग नाम के कीड़े ने काटा है और यह वह इस फिल्म में हाल की अपनी फिल्मों की तरह ही फीके रहे हैं। मराठी भाषी रानाडे सरनेम होने के बाद भी उन्होंने अपने डिक्शन पर कोई काम नहीं किया और यूपी के भैया की तरह संवाद बोले हैं।
सोनाक्षी ने एक्शन की ख्वाहिश में यह फिल्म साइन की होगी। लेकिन फिर भी यह पैसा वसूल फिल्म है। अकीरा कराटे सीखती है और एक घटना के बाद बाल सुधार गृह भेज दी जाती है। एक बेइमान पुलिस वाले की वजह से वह बेवजह फंस जाती है और अंत में सलीब पर चढ़े जीजस की तरह वह भी सूली पर चढ़ जाती है।