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फिल्म समीक्षा : द जंगलबुक

नब्बे के दशक के बच्चों के मन में रुडयार्ड किपलिंग की द जंगलबुक की यादें चिरस्थायी हैं। निर्देशक जॉन फेवरियू ने इस चिरकालिक स्मृति को भव्य तरीके से फिल्म के रूप में पेश किया है।
फिल्म समीक्षा : द जंगलबुक

लेखक रूडयार्ड किपलिंग की मोगली की कहानियों पर आधारित डिज्नी ने एक एनिमेटेड फिल्म सन 1967 में बनाई थी जिसे अब नए रूप में डिज्नी ने दोबारा पेश किया है। इस फिल्म में नवोदित अभिनेता नील सेठी ने मोगली का किरदार निभाया है। वह इस फिल्म में अकेले कलाकार हैं बाकि अन्य सभी जानवर कंप्यूटर ग्रॉफिक्स से बनाए गए हैं।

लगभग 107 मिनट लंबी इस फिल्म का कथानक इस तरह गढ़ा गया है कि दर्शकों को सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिलती है। भालू बालू की आवाज को बिल मुरे और हिंदी में इरफान खान ने सजाया है ।

भारत के दर्शकों के लिए यह फिल्म एक अलग स्थान रखती है इसलिए इसे भारत में अमेरिका से एक हफ्ते पहले रिलीज किया गया है और इसके हिंदी संस्करण में प्रियंका चोपड़ा, इरफान, ओम पुरी, नाना पाटेकर और शेफाली शाह ने किरदारों को अपनी आवाज दी है।

मोगली के किरदार में नील सेठी काफी जंचे हैं। फिल्म में अकेले मानवीय किरदार होते हुए भी उन्होंने भावनाओं को पर्दे पर बेहतर रूप में पेश किया है। फिल्म के स्पेशल इफैक्ट्स भी अच्छे हैं।

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