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काम ही नहीं आएगा तो गॉड फादर क्या करेगा

लंबे समय से फिल्मी दुनिया से जुड़े अनिल जॉर्ज के काम को सराहना तो हमेशा मिली लेकिन पहचान उन्हें फिल्म...
काम ही नहीं आएगा तो गॉड फादर क्या करेगा

लंबे समय से फिल्मी दुनिया से जुड़े अनिल जॉर्ज के काम को सराहना तो हमेशा मिली लेकिन पहचान उन्हें फिल्म मिस लवली से मिली। यह फिल्म कान्स तक गई और इसके बाद से अनिल ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। हरियाणा के जगधारी में बचपन बिताने वाले अनिल अब भले ही चंडीगढ़ और मुंबई में अपना ज्यादा वक्त बिताते हों लेकिन अभी भी हरियाणवी बातूनीपन और हास्य बोध उनके अंदर हिलोरे लेता रहता है। दर्जनों फिल्मों और वेब सीरीज में काम कर चुके अनिल जार्ज फिल्मी दुनिया में गॉड फादर होने की बात को भले ही अपने हास्य बोध में उड़ा देते हों लेकिन वह खुद मानते हैं कि एक छत्रछाया हो तो काम में थोड़ी आसानी तो होती ही है। अवरोध में अबू हफीज और मिर्जापुर सीजन 1 और 2 में लाला का किरदार निभाने वाले अनिल जॉर्ज ने अपनी फिल्मी यात्रा पर आउटलुक से बात की

. आप बहुत मुखर ढंग से कहते हैं कि बॉलीवुड में आपका कोई गॉड फादर नहीं है, काम करने में कभी कोई दिक्कत आई?

गॉड फादर हो तो आपको कभी कभार काम मिलने में सुविधा हो सकती है लेकिन हमेशा नहीं। यह माध्यम तो पूरी तरह परफॉर्मेंस पर आधारित है। आपका काम दर्शकों को पसंद नहीं, दर्शकों को आप प्रभावित ही न कर सकें, तो कोई आपकी कितनी मदद कर सकेगा।

. मिस लवली में आपके काम की बहुत तारीफ हुई थी। लेकिन आपको नहीं लगता इसके बाद भी आपको वैसा काम इंडस्ट्री में मिलना शुरू नहीं हुआ?

ये सवाल बहुत से लोग पूछते हैं। इसका कारण तो काम देने वाले बेहतर बता सकते हैं। लेकिन इतना जरूर है कि मिस लवली के बाद ही मुझे मर्दानी फिल्म मिली। इसके बाद ही सुधीर मिश्रा जी ने मुझे याद किया।

. अवरोध में आपने टेरेरिस्ट की भूमिका निभाई। अबू हफीज के किरदार के लिए कोई खास तैयारी की थी?

तैयारी तो हर भूमिका की मांग है। मुझे जो भी काम मिलता है, मैं पहले खुद को महसूस कराता हूं कि मैं वही हूं। तभी किरदार जीवंत भी लगते हैं। उड़ी द सर्जिकल स्ट्राइक, मिर्जापुर, सड़क 2 किसी भी किरदार को ले लीजिए, मैं रात दिन उस किरदार को जीने के बाद ही उसे परदे पर उतारता हूं।

. मिर्जापुर से आपको जबर्दस्त पहचान मिली। आपको वेब सीरीज और फिल्म दोनों में से किस माध्यम में काम करना अच्छा लगता है?

सच कहूं तो अभिनय, स्क्रिप्ट, बजट को देखा जाए तो फिल्म और वेब सीरीज में कोई खास अंतर नहीं है। अंतर सिर्फ रीच का है। फिल्मों के मुकाबले वेब सीरीज ज्यादा लोगों तक पहुंच पाती हैं। क्योंकि इसका एक माध्यम मोबाइल भी है। बाकी काम में तो मैं खास अंतर नहीं पाता।

. मिर्जापुर को लेकर दर्शकों की कैसी प्रतिक्रिया आप तक पहुंची?

अब कई लोगों के लिए मैं अनिल नहीं लाला ही हूं। पिछले सीजन में मेरा एक डायलॉग बहुत हिट हुआ था। जहां जाता हूं, उसे सुनाने की फरमाइश होती रहती है।

. आपने ज्यादातर विलेन की भूमिकाएं की हैं। ये आपको मिल जाती हैं या आपको ऐसी भूमिकाएं पसंद हैं?

मिल जाती हैं। लेकिन मैं शरीफ आदमी की भूमिका भी अच्छी कर सकता हूं।

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