सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पद पर पहलाज निहलानी की नियुक्ति के ठीक बाद यह सूची वितरित की गई थी और फिल्मकारों को इन शब्दों से परहेज करने की सलाह दी गई थी। अब यह सूची वापस ले ली गई है क्योंकि बोर्ड के अधिकतर सदस्यों ने इस सूची के विरोध में वोट डाला। इस फैसले का अर्थ यह है कि बॉलीवुड की फिल्मों में गालियों का इस्तेमाल धड़ल्ले से होता रहेगा।
सेंसर बोर्ड सूत्रों का कहना है कि मुंबई में शुक्रवार को बोर्ड की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई जहां अधिकतर सदस्यों ने राय जतायी कि ऐसे शब्दों पर प्रतिबंध लगाने के बजाए इसे फिल्म के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। बैठक में हिस्सा लेने वाले बोर्ड के एक सदस्य ने कहा, मुद्दे पर चर्चा हुई और अधिकतर सदस्यों ने सूची वापस लिए जाने का समर्थन किया। चूंकि अधिकतर सदस्यों ने इस पर विचार जताया इसलिए यह फैसला किया गया। बोर्ड के अध्यक्ष निहलानी ने आपत्तिजनक और अभद्र शब्दों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध वाली विवादास्पद सूची वितरित की थी लेकिन इस पर विवाद पैदा होने के बाद इसे रोक दिया गया और इसपर ज्यादा विचार-विमर्श करने की जरूरत जताई गई।
सूची में उल्लेखित सभी शब्दों पर प्रतिबंध लगाने की कवायद पर फिल्मकारों ने ऐतराज किया और जिस तरह विवाद पैदा हुआ उसपर सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी खुश नहीं था। सदस्य ने कहा, बैठक में बोर्ड ने तत्काल योजना पर भी चर्चा की जिसके तहत कुछ निश्चित राशि देकर फिल्मकार जल्दी से अपनी फिल्मों को प्रमाणित कराने के लिए आवेदन कर सकते हैं।