भारत–पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सीज़फायर के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी से मज़ाकिया लेकिन गहरे संकेत वाला बयान दिया—“हमने आपके मुँह से निवाला छीना है, लेकिन आपका अवसर ज़रूर आएगा।” दरअसल, भारतीय नौसेना कराची बंदरगाह पर ब्रह्मोस मिसाइल से हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार थी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से संघर्ष विराम पर सहमति जताने और वार्ता के संकेत देने के बाद इस कार्रवाई को रोक दिया गया।
एडमिरल त्रिपाठी के मुताबिक, वे उस समय कराची को “करीब-करीब बर्बाद” करने वाले थे, मगर राजनीतिक नेतृत्व ने अंतिम समय पर संयम दिखाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह और थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी की भी प्रशंसा की, यह कहते हुए कि तीनों सेनाध्यक्ष राजनीतिक दबाव से मुक्त हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में निर्भीक निर्णय लेते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय किसी कमजोरी का संकेत नहीं था, बल्कि सही समय और परिस्थिति का इंतजार करने की रणनीति का हिस्सा था।
पीएम मोदी के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी इस रणनीतिक सोच के केंद्र में हैं। ये चारों मिलकर एक मजबूत और निर्णायक राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा तैयार करते हैं, जो संकट की स्थिति में भी ठोस फैसले लेने में सक्षम है। इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत आवश्यक होने पर जवाबी कार्रवाई करने में हिचकेगा नहीं, लेकिन वह यह कदम रणनीतिक समय और आवश्यकता के अनुसार ही उठाएगा।
प्रधानमंत्री का “आपका मौका ज़रूर आएगा” वाला वाक्य न केवल नौसेना के मनोबल को ऊँचा उठाने वाला था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत की सैन्य शक्ति संयम और बुद्धिमत्ता के साथ प्रयोग की जाती है। यह प्रकरण भारतीय रक्षा नीति में संतुलन, तत्परता और दृढ़ निश्चय का उदाहरण है, जिसमें भावनाओं के बजाय रणनीति को प्राथमिकता दी जाती है।