दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) घोटाले के संबंध में उनकी जमानत रद्द करने की मांग करने वाली केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका खारिज कर दी। यह तेजस्वी यादव के लिए एक बड़ी राहत की बात है। जमानत याचिका रद्द करते हुए विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने उन्हें अधिक सावधान रहने और उपयुक्त शब्दों का चयन करने की सलाह दी।
अदालत में सीबीआई ने दावा किया था कि हाल ही में, यादव ने एक संवाददाता सम्मेलन में कानून की प्रक्रिया को नष्ट करने और पूरी जांच के साथ-साथ सबूतों को विफल करने का प्रयास किया था। जांच एजेंसी ने आरजेडी नेता पर दी गई स्वतंत्रता का खुले तौर पर दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया था।
अदालत ने दोनो पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सीबीआई की याचिका खारिज कर दी। सीबीआई की याचिका का जवाब देते हुए यादव ने दावा किया कि उन्होंने पहले दी गई जमानत में निर्धारित किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया। उनके वकील ने कोर्ट में कहा, “तेजस्वी यादव विपक्ष में हैं और गलत काम पर सवाल उठाना उनका कर्तव्य है। मौजूदा सरकार सीबीआई और ईडी का 'दुरुपयोग' कर रही है। सभी विपक्षी दल इसे महसूस कर रहे हैं।”
आपको बता दें कि अदालत ने यादव को अक्टूबर 2018 में निजी फर्म को आईआरसीटीसी के दो होटलों के परिचालन अनुबंध देने में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में यादव को जमानत दे दी थी।