बिहार में 27 जून को होने जा रहे विधान परिषद के चुनावी घमासान के बीच एक बड़ी खबर आ रही है। आरजेडी के दिग्गज लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपनी विधानसभा सीट को छोड़कर परिषद में जाने की तैयारी कर रहे हैं। वे फिलहाल महुआ से विधायक हैं। 2015 में पहली बार चुनाव जीतकर वह नीतीश की अगुवाई वाली महागठबंधन की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बने थे। लेकिन बाद में नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया और एनडीए की सरकार बना दी।
इसलिए छोड़ रहे विधानसभा का मैदान
बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। लेकिन बिहार के सियासी गलियारों में यह खबर तेजी से फैल रही है कि तेज प्रताप विधानसभा चुनाव का सामना करने को तैयार नहीं है। चर्चा है कि उनकी पत्नी रहीं ऐश्ववर्य राय महुआ विधानसभा सीट पर जेडीयू के टिकट पर उनको टक्कर दे सकती है। आरजेडी नेतृत्व ने इस विवादास्पद टकराव को टालने के लिए ही तेज प्रताप को परिषद भेजने का मन बना लिया है।
पत्नी ऐश्वर्य से विवाद के बाद तेज प्रताप हैं अलग
तेज प्रताप की शादी बिहार के मुख्यमंत्री रहे दारोगा राय की पौत्री और चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्य के साथ हुई थी। लेकिन यह शादी चल नहीं सकी। दोनों परिवारों के बीच मुकदमेबाजी चल रही है। ऐश्वर्य और उसके परिवार का दावा है कि उन्हें घर से निकाल दिया गया। वह और उनके पिता चंद्रिका राय ने इसका विरोध जताते हुए पूर्वमुख्यमंत्री राबड़ी देवी के निवास के सामने धरना भी दिय़ा था। बहरहाल भारी विवाद के बाद ऐश्वर्य ने तेज प्रताप का घर छोड़ दिया है और दोनों अलग रह रहे हैं। ऐश्वर्य के पिता चंद्रिका राय ने भी आरजेडी का दामन छोड़कर जेडीयू की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। दोनों परिवारों की आपसी लड़ाई 2020 के चुनावों में सियासी संघर्ष का रूप लेने जा रही है।
विधान परिषद में तेज प्रताप के साथ जगदानंद भी जाएंगे
बिहार विधान सभा में राजद सबसे बड़ा दल है। लिहाजा उसके पास सबसे ज्यादा 80 विधायक है। 75 सदस्यीय विधानपरिषद में 25 विधायकों का मत एक परिषद सदस्य चुन सकता है। ऐसे में उसके खाते में तीन सीटें आना तय माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि तेजप्रताप यादव और जगदानन्द सिंह की सीटों पर लगभग सहमति बन चुकी है। लेकिन तीसरी सीट को लेकर अभी अनिर्णय की स्थिति है। माना जा रहा है कि इसपर किसी अति पिछड़े या अल्पसंख्यक को मौका दिया जाएगा। मुमकिन है आरजेडी के सहयोगी कांग्रेस के कोटे से किसी अल्पसंख्यक को यह सीट दे दी जाए।