इंदौर की जिला अदालत ने धार्मिक नेता कम्प्यूटर बाबा को वर्ष 2020 के दौरान एक ग्राम पंचायत सचिव के साथ मारपीट, सरकारी काम में बाधा डालने और अन्य आरोपों से शुक्रवार को बरी कर दिया।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि करीब पांच साल पहले दर्ज मामले में कम्प्यूटर बाबा पर लगाए गए ये आरोप ‘‘पूर्णतः अप्रमाणित’’ पाए गए हैं।
ग्राम पंचायत सचिव की दर्ज कराई प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि कम्प्यूटर बाबा ने आठ नवंबर 2020 को जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसके साथ अभद्रता, मारपीट और गाली-गलौज की थी, जब वह एक सामुदायिक भवन पर धार्मिक नेता का अवैध कब्जा हटाने गया था।
अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के मामलों की विशेष अदालत में गवाही के दौरान ग्राम पंचायत सचिव, पुलिस को दिए अपने मूल बयान से पलट गया।
अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान कम्प्यूटर बाबा ने तमाम आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि ‘‘वह बेगुनाह हैं और उन्हें झूठे मामले में राजनीतिक आधार पर फंसाया गया।’’
कम्प्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है। उन्हें प्रदेश की भाजपा और कांग्रेस की पिछली सरकारों ने अलग-अलग निकायों में शामिल करते हुए राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजा था। ये निकाय नर्मदा, क्षिप्रा और मन्दाकिनी सरीखी नदियों की हिफाजत के साथ ही जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता फैलाने के लिए गठित किए गए थे।
पुलिस और प्रशासन के दल ने इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में सरकारी जमीन पर बने कम्प्यूटर बाबा के आश्रम को आठ नवंबर 2020 को अवैध बताकर जमींदोज कर दिया था। इसके साथ ही, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद कम्प्यूटर बाबा को 19 नवंबर 2020 को जेल से रिहा किया गया था।