कांग्रेस ने बंदरगाह संचालन में अडाणी समूह की बढ़ती हिस्सेदारी से संबंधित एक खबर का हवाला देते हुए शनिवार को आरोप लगाया कि यह न सिर्फ ‘मित्रवादी पूंजीवाद’ का एक सटीक मामला है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पार्टी की 100 सवालों की श्रृंखला ‘हम अडाणी के हैं कौन’ के तहत उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल पूछे थे कि कैसे अडाणी बिना किसी प्रतिस्पर्धी बोली में शामिल हुए भारत के सबसे बड़े बंदरगाह संचालक बन गए।
रमेश ने एक अंग्रेजी दैनिक में प्रकाशित खबर का हवाला देते हुए दावा किया कि ‘मोदी द्वारा निर्मित एकाधिकार’ के रणनीतिक प्रभाव के बारे में सरकार के उच्चतम स्तर पर बढ़ती चिंताओं को यह रिपोर्ट उजागर करती है। कांग्रेस नेता के अनुसार, पोत परिवहन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इस प्रभुत्व के दुरुपयोग का वास्तविक खतरा है। रमेश ने कहा, ‘पिछले एक दशक में अडाणी ही हिस्सेदारी कुल बंदरगाहों के यातायात में 10 प्रतिशत से 24 प्रतिशत हो गई है और आज (समूह) भारत के सरकारी स्वामित्व वाले ‘प्रमुख बंदरगाहों’ के बाहर 57 प्रतिशत कॉर्गो को नियंत्रित करता है।"
उन्होंने आरोप लगाया, ”प्रधानमंत्री ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र का नियंत्रण अपने उस करीबी दोस्त को सौंपकर खुद को और भारत को वैश्विक स्तर पर हंसी का पात्र बना दिया है जिस पर गंभीर आरोप हैं।" कांग्रेस नेता ने कहा कि यह न सिर्फ मित्रवादी पूंजीवाद का एक सटीक मामला है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है।
अमेरिकी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडाणी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक मूल्य में हेरफेर का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमलावर है और आरोपों की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराए जाने की मांग कर रही है। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया है। उसका कहना है कि उसकी ओर से कोई गलत काम नहीं किया गया है।