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दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ पर आरटीआई आवेदक को सीआईसी से संपर्क करने को कहा

दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य...
दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ पर आरटीआई आवेदक को सीआईसी से संपर्क करने को कहा

दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से दायर एक आरटीआई आवेदन पर याचिकाकर्ता को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से संपर्क करने का निर्देश दिया है।

आरटीआई आवेदक नीरज शर्मा ने यह जानकारी मांगी थी कि क्या ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ को ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ माना जा सकता है। उन्होंने ट्रस्ट के लिए केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी का विवरण भी मांगा था।

केंद्र सरकार ने यह रुख अपनाया कि ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ न तो भारत सरकार के स्वामित्व में है, न ही उसके द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित है। इसलिए, यह आरटीआई अधिनियम के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ की परिभाषा के दायरे में नहीं आता।

सीआईसी ने 8 जुलाई 2022 को इस संबंध में याचिकाकर्ता की अपील निस्तारित करते हुए कहा था कि जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती। इसके बाद गृह मंत्रालय ने दावा किया कि ट्रस्ट स्वायत्त निकाय है। याचिकाकर्ता ने सीआईसी में एक और अपील दायर की, जिसे पंजीकृत करने से इनकार कर दिया गया।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने मौखिक रूप से याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “आप स्वयं सीआईसी से न्यायिक समीक्षा की मांग क्यों नहीं करते?” याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से अनुरोध किया कि वह मामले को सीआईसी को वापस भेजने का निर्देश दे और शीघ्र निर्णय लेने को कहे। गृह मंत्रालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि यदि मामला फिर से आयोग को भेजा जाता है तो सरकार इसका विरोध नहीं करेगी।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिका में कहा कि ट्रस्ट का गठन उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुआ था और इसे केंद्र सरकार ने अधिसूचित किया था। इसलिए इसे आरटीआई अधिनियम के तहत ‘सार्वजनिक प्राधिकरण’ की परिभाषा में आना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया कि कानून के अनुसार, किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण को अपने गठन के 180 दिनों के भीतर लोक सूचना अधिकारी (पीआईओ) नियुक्त करना चाहिए, जो राम जन्मभूमि न्यास के मामले में नहीं किया गया।

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