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दूध पर एफएसएसएआई का सर्वे, 41 प्रतिशत नमूने ठीक नहीं, 7 प्रतिशत स्वास्थ्य के लिए हानीकारक

देश में पहली बार फूड रेगुलेटर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने दूध की...
दूध पर एफएसएसएआई का सर्वे, 41 प्रतिशत नमूने ठीक नहीं, 7 प्रतिशत स्वास्थ्य के लिए हानीकारक

देश में पहली बार फूड रेगुलेटर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) ने दूध की गुणवत्ता परखने के लिए एक सर्वे किया है। एफएसएसएआई ने सर्वे में 41 प्रतिशत दूध के नूमनों में किसी न किसी प्रकार की कमी पाई जबकि 7 प्रतिशत दूध के नमूनों में स्वास्थ्य के लिए हानीकारक तत्व मौजूद थे।

साल भर चला सर्वे

दूध की गुणवत्ता जांचने के लिए सर्वेक्षण मई 2018 से 2019 के बीच किया गया। इस सर्वे में सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित राज्यों को भी शामिल किया गया था। इस सर्वे का उद्देश्य पूरे देश में दूध की सुरक्षा और गुणवत्ता पर निगरानी करने और सुरक्षित-गुणवत्ता वाला दूध मुहैया करना था।

इस सर्वे के लिए पूरे देश से करीब 6,432 दूध के नमूने इकट्ठे किए गए थे। इस सर्वे में मुख्य रूप से जो बात सामने आई वो दूध के नमूनों में एफ्लाटॉक्सिन एम 1 की मौजूदगी थी। 6, 432 नमूनों में से 368 में इसकी मात्रा तय मात्रा 5.7 से ज्यादा थी।

यह पहली बार है कि देश में दूध में एफ्लाटॉक्सिन एम 1 की उपस्थिति का इतना विस्तृत सर्वेक्षण किया गया है। एफ्लाटॉक्सिन एम 1, एक प्रकार का कवक है जो चारे के माध्यम से मिलाया जाता है। भारत में इसकी इजाजत नहीं है। एफएसएसएआई के सीईओ पवन अग्रवाल ने कहा कि, ‘तीन राज्यों- दिल्ली तमिलनाडु और केरल में यह कवक प्रमुखता से इस्तेमाल किया जाता है।’

नमूनों में एंटीबायोटिक मिलना भी चिंताजनक

इस सर्वे में एक और मुद्दा दूध के नमूनों में एंटीबायोटिक दवाओं की उपस्थिति का था। सर्वेक्षण के अनुसार, 1.2 प्रतिशत दूध के नमूनों में एंटीबायोटिक दवाओं के संकेत मिले हैं। कुल मिलाकर, दूध के नमूनों में से सात प्रतिशत असुरक्षित पाए गए, जिनमें गंभीर स्वास्थ्य खतरा था।

सर्वे में पाया गया कि 41 प्रतिशत दूध में किसी न किसी प्रकार की दिक्कत थी। अग्रवाल का कहना है कि कच्चे और प्रोसेस्ड दोनों ही तरह के दूध के नमूने गुणवत्ता के दो प्रमुख मापदंड (वसा रहित ठोस) मामले में अनुरूप नहीं पाए गए।  

सीईओ अग्रवाल का कहना है कि 6,432 नमूनों में से लगभग 77 नमूनों में अनुमानित सीमा से ऊपर एंटीबायोटिक दवाओं के अवशेष थे। यूपी, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्य इसमें सबसे आगे हैं। केरल में कच्चे दूध के केवल एक नमूने में कीटनाशक के अवशेष पाए गए।

खराब गुणवत्ता वाले स्थानों की पहचान

सर्वे से उन जगह को पहचानने में मदद मिली जहां मिलावट होती है। इससे इन जगहों पर निगरानी रख कर कार्रवाई की जा सकेगी। सर्वे के बाद एफएसएसएआई ने अपने सभी स्टेकहोल्डर्स को आगाह कर दिया है कि वे लोग दूध और उसके उत्पाद के लिए गुणवत्ता और सुरक्षा मानक बनाए रखें। कुल मिलाकर, 93 फीसदी नमूने यानी 6,432 में से 5,976 नमूने इस्तेमाल के लिए सुरक्षित पाए गए।

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