एयरसेल मैक्सिस मामले में केंद्र सरकार ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। यह जानकारी सोमवार को सीबीआई ने पटियाला हाउस कोर्ट को दी।
वहीं, सीबीआई द्वारा मामले के अन्य आरोपियों के खिलाफ मंजूरी प्राप्त करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगने पर कोर्ट ने चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम की अग्रिम जमानत को 18 दिसम्बर तक के लिए बढ़ा दिया है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की तरफ से पेश हुए सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले में कुल 18 आरोपी हैं जिनमें छह के लिए मुकदमा चलने के लिए विभागों से मंजूरी लेना जरूरी थी। अभी पांच के लिए मंजूरी लेने की कोशिश कर रहे हैं।
ये है आरोप
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था। इडी के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दे दी थी जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी।
क्या थी डील
मैक्सिस मलेशिया की एक कंपनी है जिसका मालिकाना हक एक बिजनेस टॉयकून टी आनंद कृण्णन के पास है जिन्हें टैक नाम से भी जाना जाता है। टैक श्रीलंका की तमिल पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले एक मलेशियाई नागरिक है। एयरसेल को सबसे पहले एक एनआरआई टॉयकून सी सिवसंकरन (सिवा) ने प्रमोट किया था, जो कि तमिलनाडु के मूल निवासी थे।
साल 2006 में मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। बाकी की 26 फीसदी हिस्सेदारी अब एक भारतीय कंपनी के पास है, जो कि अपोलो हॉस्पिटल ग्रुप से संबंधित है। इन 26 फीसदी शेयर का मालिकाना हक सुनीता रेड्डी के पास है जो कि अपोलो के ग्रुप फाउंडर डॉ सी प्रताप रेड्डी की बेटियों में से एक हैं।
ये डील उस वक्त विवादों के घेरे में आ गई जब 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला उजागर हुआ। तब देश के सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया था कि वो इस मामले में ए राजा के पूर्ववर्ती मंत्रियों की जांच करे।