लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद सेना ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर होने वाले ऐसे टकरावों के मद्देनजर नियमों में बदलाव किया है। नियम बदले जाने के बाद फील्ड कमांडर ही 'असाधारण' परिस्थितियों में आग्नेयास्त्रों के उपयोग को मंजूरी दे सकेंगे। सरकार ने एलएसी पर नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत सेना के फील्ड कमांडरों को यह अधिकार दिया गया है कि वह विशेष परिस्थितियों में जवानों को हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दे सकते हैं।
रविवार को हालात की समीक्षा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों की बैठक के बाद इस संबंध में कई अहम फैसले लिए गए। इसमें सबसे अहम फैसला यह है कि फील्ड कमांडरों को अप्रत्याशित स्थिति में हथियार के इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है। निश्चित तौर पर भारत ने दोनों सेनाओं के बीच दशकों से बंदूक इस्तेमाल नहीं करने की नीति से जरूरत पड़ने पर हटने का संकेत दे दिया है।
सरकार के नए नियमों के अनुसार, एलएसी पर तैनात कमांडर सैनिकों को सामरिक स्तर पर स्थितियों को संभालने और दुश्मनों के दुस्साहस का 'मुंहतोड़' जवाब देने की पूरी छूट होगी। बता दें कि देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि दोनों पक्षों की सेनाएं 1996 और 2005 में एक द्विपक्षीय समझौतों के प्रावधानों के अनुसार टकराव के दौरान हथियारों का इस्तेमाल नहीं करती हैं। उन्होंने जवाब में कहा था, 15 जून को गलवान में हुई झड़प के दौरान भारतीय जवानों ने इसलिए हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया था।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने रविवार को कहा था कि सरकार ने चीन से निपटने के लिए सेना को पूरी आजादी दी है। उन्होंने यह बात गलवान घाटी में देश के लिए जान गंवाने वाले कर्नल संतोष बाबू को श्रद्धांजलि देने के दौरान कही। उन्होंने कर्नल के परिवार से मुलाकात भी की। रेड्डी ने कहा, "स्थानीय हालात को देखते हुए सरकार ने भारतीय सेना को इसकी पूरी छूट दे दी है कि वह भारत की सीमाओं और अपने जवानों की रक्षा करते हुए जैसे चाहे चीनी सेना से निपटे।"
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा, "देश में चीन के खिलाफ गहरी भावनाएं हैं। लोग प्रदर्शन करके चीन के खिलाफ अपने रुख का इजहार कर रहे हैं। जहां तक संभव हो सके अपनी मर्जी से चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने की जरूरत है। देश की जनता यही चाहती है।"
15 जून को गलवन घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से नई दिल्ली में रक्षा मंत्री की अगुआई में रोजाना जमीनी हालात की समीक्षा की जा रही है। रविवार को रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख के साथ-साथ अरणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में एलएसी के सभी संवेदनशील मोर्चो पर हालात की समीक्षा की।
पूरी तरह चौकसी बरतने का निर्देश
सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक में सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया उपस्थित रहे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों को कहा कि चीन की ओर से होने वाली हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जाए। जमीन व वायु क्षेत्र के अलावा रणनीतिक रूप से अहम जल क्षेत्र को लेकर भी पूरी चौकसी बरतने को कहा गया है।
हिंसक झड़प में भारतीय सेना का कोई भी जवान अब गंभीर रूप से घायल नहीं
सेना ने हाल ही में बताया था कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना का कोई भी जवान अब गंभीर रूप से घायल नहीं है और सबकी हालत स्थिर है। सेना के अधिकारियों ने बताया था, 'हमारे सभी जवानों की हालत ठीक है और कोई भी सैनिक गंभीर नहीं है। लेह के अस्पताल में हमारे 18 जवान हैं और वह 15 दिन के भीतर ही ड्यूटी ज्वाइन कर लेंगे। इसके अलावा 56 जवान दूसरे अस्पतालों में हैं, जो मामूली तौर पर घायल हैं और वह एक हफ्ते के भीतर ही ड्यूटी पर लौट आएंगे।
क्यों नहीं चलती है एलएसी पर गोली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल में कहा था कि मौके पर स्थिति से निपटने के लिए सेना को पूरी आजादी दी गई है। पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए चीनी सेना के साथ होने वाली कोर कमांडर की बैठक में भारतीय सेना इस मुद्दे को उठा सकती है।
भारत और चीन के बीच 1996 और 2005 में हुए समझौतों के मुताबिक दोनों पक्ष एक दूसरे पर गोली नहीं चलाते हैं। साथ ही दोनों देश एलएसी के दो किमी के दायरे में भी गोली नहीं चलाने पर सहमत थे।
राहुल गांधी ने उठाए थे सवाल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सवाल किया था कि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारतीय सैनिकों ने हथियारों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उन्हें इन समझौतों की याद दिलाई थी।