अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि इस मामले 18 अक्टूबर के बाद पक्षकारों को जिरह के लिए एक भी दिन अतिरिक्त समय नहीं मिलेगा। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सुनवाई पूरी करने की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी। अब तक 31 दिनों की सुनवाई शीर्ष अदालत में हो चुकी है। हिंदू पक्षकारों ने अपनी दलीलें रख दी हैं और मुस्लिम पक्षकार की दलीलें जारी हैं।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाले पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी हो जाती हैं तो चार सप्ताह में फैसला देना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा। चीफ जस्टिस गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
संविधान पीठ ने मुस्लिम पक्षकार और हिंदू पक्षकार को बहस के लिए समयसीमा तय कर दी है। कोर्ट के अनुसार, ज्यादातर दलीलें 4 अक्टूबर तक पूरी हो जाएंगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट दशहरा की छुट्टियां हो जाएंगी। कोर्ट 14 अक्टूबर को फिर खुलेगा। ऐसे कोर्ट के पास सुनवाई के लिए 18 अक्टूबर तक 5 और दिन बचेंगे।
हफ्ते में पांच दिन और एक घंटा ज्यादा हो रही सुनवाई
इससे पहले भी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई इस बात पर टिप्पणी कर चुके हैं कि सभी पक्षों को कोशिश करनी चाहिए कि 18 अक्टूबर तक अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी हो सके। इसके बाद क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को एक महीने का वक्त इस मसले का फैसला लिखने के लिए चाहिए होगा।
चीफ जस्टिस के इसी बयान के बाद सर्वोच्च अदालत ने इस मामले की सुनवाई का समय बढ़ा दिया था। सुप्रीम कोर्ट में अब रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद हफ्ते में पांच दिन सुना जा रहा है, साथ ही साथ इस मसले को अदालत रोजाना एक घंटा अधिक सुन रही है। यानी सुनवाई अब शाम 5 बजे तक सुनवाई की जा रही है। अदालत ने इस मामले में ये भी कहा था कि अगर जरूरत पड़ती है तो अदालत शनिवार को भी सुनवाई कर सकती है।
गुरुवार को जारी सुनवाई
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी रही और ASI की ओर से दलीलें पेश की गईं। अभी तक निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा, रामलला, मुस्लिम पक्ष सभी अपनी दलीलें अदालत में पेश कर चुके हैं।