हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक की कोविड-19 वैक्सीन 'कोवैक्सीन' ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की एक्टपर्ट कमेटी की समीक्षा में 77.8 फीसदी असरदार पाई गई है। कंपनी ने हाल में मेड इन इंडिया कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल डीसीजीआई को सौंपा है।
मंगलवार को सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने वैक्सीन के फेज 3 के ट्रायल के डेटा को मंजूरी दे दी। 25,800 लोगों पर फेज-3 का ट्रायल किया गया था। इसमें देखा गया कि कोरोना के खिलाफ यह वैक्सीन कितना बचाव करती है। अब डेटा वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन में भी सब्मिट किया जा सकेगा। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर डेवलप किया है।
वर्तमान में देश में जिन तीन वैक्सीन को देश में कोरोना के खिलाफ जंग में लोगों को लगाने की इजाजत दी गई है, उनमें स्वदेशी विकसित कोवैक्सीन भी शामिल है। अप्रैल में भारत बायोटेक ने कहा था कि तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण के आधार पर कोवैक्सीन हल्के और गंभीर कोविड-19 के मामलों में 78 फीसदी प्रभावी पाई गई है। तीसरे चरण के ट्रायल के डेटा जारी करने में देरी की वजह से कंपनी को खासी आलोचना झेलनी पड़ी थी।
कोवैक्सीन को पहले और दूसरे चरण के ट्रायल डेटा के आधार पर डीसीजीआई ने भारत में जनवरी के महीने में आपात इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी। कोवैक्सीन के डेटा को जारी करने में हो रही देरी के बीच शुरुआती स्टडी में यह दावा किया गया था कि कोविशील्ड वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के मुकाबले कोरोना से जंग में ज्यादा एंटीबॉडीज पैदा करती है। पाया गया कि वैक्सीन के 2 डोज के बाद कोविशील्ड लेने वाले 98 फीसदी में जितनी एंटीबॉडी पाई गई जबकि कोवैक्सीन लगाने वाले 80 फीसदी में पाई गई थी।