महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में नजरबंद रहे मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को बड़ी राहत मिली है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उनकी ट्रांजिट रिमांड संबंधी याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने नवलखा की नजरबंदी खत्म करते हुए कहा कि उनकी हिरासत 24 घंटे पार कर गई है और इसे और बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
दिल्ली हाईकोर्ट ने नवलखा को राहत देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें आगे के उपायों के लिए चार हफ्तों के अंदर उपयुक्त अदालत का रुख करने की छूट दी थी, जिसका उन्होंने उपयोग किया है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत की ट्रांजिट रिमांड के आदेश को भी रद्द कर दिया। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाए जाने से पहले इस आदेश को चुनौती दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था नजरबंद रखने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के हाल में दिए उस फैसले के बाद आया है, जिसमें नवलखा और चार अन्य को कोर्ट ने चार सप्ताह के लिए और नजरबंद रखने का आदेश दिया था।
पांच कार्यकर्ता किए गए थे गिरफ्तार
भीमा-कोरेगांव केस में अगस्त में पुलिस ने देशभर में वामपंथी विचारकों के ठिकानों पर छापे मारे थे। पुलिस ने वामपंथी विचार और मानवाधिकार कार्यकर्ता वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को अरेस्ट किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इन पांचों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी और सभी को उनके घरों में नजरबंद रखने का आदेश दिया। गौतम नवलखा समेत पांचों वामपंथी विचारक बीते 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद हैं।