भीमा कोरगांव मामले में आरोपी लेखक वरवर राव की अस्थायी जमानत की अर्जी पुणे कोर्ट ने खारिज कर दी। वरवर राव ने अपनी सिस्टर-इन-ला की मौत के बाद की रश्मों के लिए 29 अप्रैल से 4 मई तक के लिए अस्थायी जमानत की मांग की थी।
पिछली सुनवाई में वरवर राव की ओर ओर से कहा गया था कि उन्हें या तो अस्थायी जमानत दे दी जाए या पुलिस एस्कॉर्ट में हैदराबाद भेज दिया जाए ताकि वे मौत के बाद की रश्मों को संपन्न कर सकें। वहीं, सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने यह आशंका जताई कि अगर आरोपी को पुलिस एस्कॉर्ट में भेजा गया या राहत दी गई तो वह फरार हो सकता है या पुलिस पार्टी पर गंभीर हमला कर सकता है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन आज आरोपी वरवर राव की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
माओवादियों से संबंध का आरोप
वामपंथी रुझान वाले जिस तेलुगु कवि और लेखक वरवर राव को पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित तौर पर संबंध होने के चलते गिरफ्तार किया था। इसके अलावा कार्यकर्ता वेरनोन गोन्जाल्विस और अरुण फरेरा को मुंबई से गिरफ्तार किया गया था जबकि ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को हरियाणा के फरीदाबाद और सिविल लिबर्टी कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नई दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।
200वीं वर्षगांव पर हुई थी हिंसा
भीमा कोरेगांव युद्ध की 200 वीं वर्षगांठ के दौरान नये साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 31 दिसंबर, 17 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इस परिषद के दूसरे दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई थी। हिंसा के लिए एलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था।