बिल्किस बानो गैंग रेप मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया कि वो उन पुलिस अफसरों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पूरी करें जिन्हें हाईकोर्ट ने दोषी करार दिया था। कोर्ट बिलकिस बानो की ज्यादा मुआवजा मांगने वाली याचिका पर 23 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ में जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल हैं। बिलकिस बानो ने गुजरात सरकार की पांच लाख रुपये का मुआवजा देने संबंधी पेशकश स्वीकार करने से कोर्ट के समक्ष इनकार कर दिया।
दोषी अफसरों की याचिका कर दी थी खारिज
हाई कोर्ट ने चार मई 2017 को आईपीसी की धारा 218 के तहत अपनी ड्यूटी का निर्वहन ना करने और धारा 201 के तहत सबूतों से छेड़छाड़ करने के तहत पांच पुलिसकर्मियों और दो डॉक्टरों को दोषी ठहराया था। इन अधिकारियों ने मुंबई हाईकोर्ट द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2017 को इन अधिकारियों की अर्जी खारिज कर दी थी।
मांगी थी स्टेट्स रिपोर्ट
पिछले साल 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में गुजरात सरकार से दोषी अफसरों के विभागीय जांच संबंधी स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने पूछा था कि क्या उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। अपने फैसले में कोर्ट ने ये भी कहा कि उन्हें सेवा में नहीं रखा जा सकता।
हाई कोर्ट ने रखी थी सजा बरकरार
मुंबई हाई कोर्ट ने फैसले में सामूहिक बलात्कार के 11 दोषियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी थी। कोर्ट ने पुलिसकर्मियों और डाक्टरों सहित सात व्यक्तियों को बरी करने का निचली अदालत का आदेश निरस्त कर दिया था।
गोधरा ट्रेन अग्निकांड की घटना के बाद गुजरात में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मार्च, 2002 में गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस हिंसा में उसके परिवार के सात सदस्य मारे गए थे जबकि परिवार के छह अन्य सदस्य बच कर भाग निकलने में कामयाब हो गए थे।