इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने उच्चतम न्यायालय से बुधवार को अनुरोध किया कि वह आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य ठहराने के अनुरोध वाली उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई करे।
समिति ने उन्हें नकदी बरामदगी मामले में कदाचार का दोषी पाया था।
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय से अपने मुवक्किल की उस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया।
याचिका में आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को अमान्य करने की मांग की गई है। इसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को नकदी बरामदगी मामले में कदाचार का दोषी पाया गया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ के समक्ष वर्मा की याचिका का उल्लेख किया।
मुख्य न्यायाधीश ने सिब्बल से कहा कि उन्हें एक पीठ का गठन करना होगा और कहा कि उनके लिए इस मामले पर विचार करना उचित नहीं होगा. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "मुझे एक पीठ का गठन करना होगा।"
सिब्बल ने पीठ से मामले को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. सिब्बल ने कहा कि उन्होंने याचिका में कुछ संवैधानिक मुद्दे उठाए हैं।
गौर करें तो वर्मा ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा 8 मई को संसद से उनके खिलाफ महाभियोग शुरू करने का आग्रह करने की सिफारिश को भी रद करने की मांग की है।