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मुख्यमंत्री केसीआर ने गजवेल और कामारेड्डी में दाखिल किया नामांकन, लोगों से सोच-विचार कर वोट डालने को कहा

मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने बीआरएस नेताओं के साथ गुरुवार को गजवेल और कामारेड्डी विधानसभा सीटों...
मुख्यमंत्री केसीआर ने गजवेल और कामारेड्डी में दाखिल किया नामांकन, लोगों से सोच-विचार कर वोट डालने को कहा

मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने बीआरएस नेताओं के साथ गुरुवार को गजवेल और कामारेड्डी विधानसभा सीटों से नामांकन दाखिल किया। सुबह एर्रावेली स्थित फार्म से विशेष हेलीकॉप्टर से गजवेल पहुंचे। रोड शो में गजवेल के लोग विशेष वाहन से शामिल हुए और गजवेल के लोग ब्रह्मरथ लेकर निकले। केसीआर ने गजवेल एआरओ कार्यालय पहुंचकर चुनाव रिटर्निंग अधिकारी को अपना नामांकन पत्र सौंपा। बाद में वे वहां से विशेष हेलीकॉप्टर से कामारेड्डी पहुंचे।

मुख्यमंत्री श्री के चंद्रशेखर राव ने कामरेड्डी में आयोजित आशीर्वाद जनसभा में कहा कि कामारेड्डी से मेरा जन्म से ही नाता है। बिबिपेट मंडल में कोनैपल्ली गांव को पहले पोसानिपल्ले के नाम से जाना जाता था। मेरी मां का जन्म उसी गांव में हुआ था। हमारे चाचा अरुगोंडा में रहते थे। जब मैं बच्चा था, अपनी माँ और दादी के साथ आता था, तो मैं एक रेल कर्मचारी बादल सिंह के घर में रहते थे। तेलंगाना आंदोलन शुरू होने के बाद हमने जल दोहन के बारे में जानकारी देने के लिए 45 दिनों तक जलसाधना आंदोलन किया।

केसीआर ने कहा कि कामारेड्डी बार एसोसिएशन में तेलंगाना के लिए सर्वसम्मति से संकल्प लेने वाला तेलंगाना का पहला बार एसोसिएशन था। इससे आंदोलन को गति मिली। जैसा कि हमने पहले वादा किया था, हमने कामारेड्डी को जिला बना दिया है। हम मेडिकल कॉलेज भी लेकर आये हैं। कामारेड्डी और निज़ामाबाद जिले के नेता कामारेड्डी से चुनाव लड़ने के लिए कह रहे हैं। केसीआर अकेले नहीं आएंगे..केसीआर के साथ कई लोग होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीआरएस पार्टी का जन्म तेलंगाना राज्य की उपलब्धि और तेलंगाना लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हुआ है। जिस कांग्रेस पार्टी ने देश पर 50 साल तक राज किया, 1956 तक अस्तित्व में रहे तेलंगाना का सूपड़ा साफ कर उसे आंध्र में मिला दिया। कांग्रेस पार्टी की करतूत से तेलंगाना की जनता 58 साल से लड़ रही है, रो रही है, मैंने बहुत कुछ खोया..कष्ट सहा। इन्हें दलितों का वोट तो चाहिए..लेकिन उनका कल्याण नजर नहीं आता। यदि जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री होते हुए 'दलित बंधु' योजना जैसी कोई योजना पेश की होती तो दलितों को नुकसान नहीं उठाना पड़ता।

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