कोयंबटूर में साल 2010 में दस साल की बच्ची से बलात्कार और भाई की हत्या का मामला में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी और दोषी मनोहरन की फांसी बरकरार रखी है। गुरुवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा पाने वाले दोषी की उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने मौत की सजा को बरकरार रखने के उसके आदेश की समीक्षा का अनुरोध किया था।
जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना ने फांसी बरकरार रखी, जबकि जस्टिस संजीव खन्ना ने इस फैसले से असहमति जताते हुए उम्रकैद दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की फांसी पर रोक लगाई थी। मनोहरन की फांसी 20 सितंबर को होनी थी। कोयंबटूर बलात्कार एवं हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक के मुकाबले दो के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि मृत्युदंड को बरकरार रखने वाले फैसले की समीक्षा करने का कोई आधार नहीं है।
अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखी थी मौत की सजा
बता दें कि अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने दस साल की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार में शामिल एक व्यक्ति को मौत की सजा को बरकरार रखा था। दोषी ने बच्ची और उसके भाई की हत्या भी कर दी थी। दरअसल, पुजारी मोहनकृष्णन और मनोहरन पर नाबालिग बच्चों की मौत के जघन्य अपराध का आरोप लगाया गया था। मोहनकृष्णन एक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था। मनोहरन को ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा दी थी, जिसकी पुष्टि बाद में मद्रास हाईकोर्ट ने की।
तीन जजों की बेंच ने की सुनवाई
मनोहरन द्वारा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की, जिसमें जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। जस्टिस संजीव खन्ना ने इस फैसले से असहमति जताई थी।