माकपा ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाए जाने की निंदा की है। पार्टी का कहना है कि सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर इस तरह का प्रचार कतई स्वीकार्य नहीं है। यह सीधे तौर पर बुनियादी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हैं। ऐसे अपराधों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
पार्टी पोलित ब्यूरो की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण के तहत यह सांप्रदायिक घृणा अभियान विदेश में रह रहे लाखों भारतीयों की आजीविका और उनके काम को जोखिम में डाल रहा है। 2019 में ही उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से करीब तीन लाख भारतीय खाड़ी देशों और पश्चिम एशिया गए। आज दुनिया में करीब 17.5 मिलियन भारतीय मूल के प्रवासी हैं।
एकजुट लड़ाई में डाल रहे हैं बाधा
माकपा ने कहा है कि केंद्र सरकार को तुरंत आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना चाहिए और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जो सांप्रदायिक घृणा फैलाकर महामारी के खिलाफ सभी भारतीयों की एकजुट लड़ाई में बाधा डाल रहे हैं। इसमें राजनीतिक नेता और अन्य उच्च पदों पर बैठे लोग भी शामिल हैं।
मौलक अधिकारों का न हो उल्लंघन
पार्टी के अनुसार केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीयों के जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन न हो, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो। माकपा का कहना है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, कानून अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहा है और उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। ऐसे अपराधियों को कड़ाई से दंडित करने के लिए कानून लागू किया जाना चाहिए।