दिल्ली हाई कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को फीस बढ़ोतरी पर राहत दी है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि नए अकेडमिक साल के लिए अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले जेएनयू के छात्र पुराने हॉस्टल मैनुअल के तहत ऐसा कर सकते हैं। यानी रजिस्ट्रेशन करने से बचे 10 प्रतिशत छात्रों को पुरानी फीस ही देनी होगी लेकिन उन्हें एक हफ्ते के अंदर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही उनसे कोई लेट फीस भी नहीं ली जाएगी।
साथ ही कोर्ट ने नई जेएनयू हॉस्टल मैनुअल को चुनौती देने के मामले में पक्षकार बनाए गए मानव संसधान विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) को भी नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
जेएनयू छात्र संघ ने दायर की थी याचिका
याचिकाकर्ता साकेत मून, सतीश चंद्र यादव, एमडी दानिश और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंटस यूनियन (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष द्वारा शीतकालीन सत्र-2020 में रजिस्ट्रेशन के लिए जेएनयू प्रशासन को छात्रों पर लेट फीस लगाने से रोकने के लिए याचिका दायर की थी। साथ ही विश्वविद्यालय को हॉस्टल मैनुअल का ड्राफ्ट तैयार करने से रोकने के लिए भी दिशा निर्देश मांगे थे।
‘लेट फीस के साथ रजिस्ट्रेशन’
वहीं, 20 जनवरी को विश्वविद्यालय में शीतकालीन सत्र के लिए रजिस्ट्रेशन की समय सीमा समाप्त होने के तीन दिन बाद प्रशासन ने दावा किया था कि 8,500 नामांकित छात्रों में से 82 प्रतिशत छात्रों ने अपने हॉस्टल के बकाया राशि जमा कर दी है। आगे उन्होंने दावा किया था कि विलंब शुल्क के साथ रजिस्ट्रेशन करने वाले छात्रों की संख्या के बाद आंकड़ा और बढ़ेगा।16 जनवरी को जेएनयू ने शीतकालीन सत्र के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि तीसरी बार बढ़ाकर 17 जनवरी की थी। इससे पहले इसकी समय सीमा 5 जनवरी तय की गई थी।
पिछले साल हुई थी फीस में बढ़ोतरी
गौरतलब है कि पिछले साल नवंबर में जेएनयू में हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी की गई थी। जिसके बाद छात्रों ने काफी विरोध किया था। प्रशासन और छात्रों के बीच कई बैठकों के बाद प्रशासन ने एक जनवरी से पंजीकरण प्रक्रिया की शुरुआत की थी।