देश के बालरोग विशेषज्ञों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक (आईएपी) ने डॉक्टर कफील खान के समर्थन में पत्र लिखकर उनके निलंबन को जल्द समाप्त करने की मांग की है। गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में अगस्त, 2017 के दौरान ऑक्सीजन की कमी से 70 बच्चों की मौत होने के मामले में डॉ. कफील को निलंबित कर दिया गया था। अभी तक यूपी सरकार ने उन्हें क्लीन चिट नहीं दी है।
इससे पहले प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) रजनीश दुबे ने कहा था कि चंद रोज पहले से डॉ. कफील जिन बिंदुओं पर क्लीन चिट मिलने का दावा कर रहे हैं, उन बिंदुओं पर जांच अभी पूरी भी नहीं हुई है। इसलिए क्लीन चिट की बात बेमानी है। इसके अलावा, डॉ. कफील बाल रोग विभाग के प्रवक्ता पद पर योगदान करने के बाद बाद भी अनाधिकृत रूप से निजी प्रैक्टिस कर रहे थे तथा मेडिस्प्रिंग हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जुड़े हुए थे। उन पर निर्णय लिए जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। अन्य 2 आरोपों पर अभी शासन द्वारा अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
उन्होंने बताया कि बच्चों की मौत के मामले में तत्कालीन प्राचार्य डॉ़ राजीव कुमार मिश्रा, एनेस्थीसिया विभाग के सतीश कुमार और बाल रोग विभाग के तत्कालीन प्रवक्ता डॉ. कफील खान को निलंबित किया गया था। डॉ. कफील जो खुद को निर्दोष करार दिए जाने का प्रचार कर रहे हैं, वह गलत है। बता दें कि 70 बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉ. कफील को चार मामलों में से सिर्फ एक में ही क्लीन चिट मिली है। उनके बारे में यह बात निराधार साबित हुई है कि घटना के वक्त 100 बेड वाले एईएस वार्ड के नोडल प्रभारी डॉ. कफील थे।