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सीबीआई रिश्वतखोरी मामले में डीएसपी देवेंद्र और बिचौलिये को 14 दिन की न्यायिक हिरासत

सीबीआई रिश्वतखोरी मामले में आरोपी डीएसपी देवेंद्र कुमार और बिचौलिये मनोज प्रसाद को दिल्ली की...
सीबीआई रिश्वतखोरी मामले में डीएसपी  देवेंद्र और बिचौलिये को 14 दिन की न्यायिक हिरासत

सीबीआई रिश्वतखोरी मामले में आरोपी डीएसपी देवेंद्र कुमार और बिचौलिये मनोज प्रसाद को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। रिश्वतखोरी के इसी मामले में सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का भी नाम है।

देवेंद्र कुमार को कारोबारी सतीश सना का बयान दर्ज करने में परेशान करने और रिश्वत मांगने के आरोप में 22 अक्तूबर को गिरफ्तार किया गया था। सात दिन का सीबीआई रिमांड खत्म होने के बाद डीएसपी देवेंद्र को कोर्ट में पेश किया गया था।

सीबीआई से मांगा जवाब

इससे पहले सोमवार को देवेंद्र कुमार ने पटियाला हाउस अदालत में जमानत अर्जी दी थी जिस पर कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा है। एडवोकेट राहुल त्यागी के जरिए दायर की गई जमानत अर्जी में देवेंद्र ने अपनी हिरासत को ‘अवैध’ करार दिया और रिहाई की गुहार लगाई। मामले में मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद नाम के दो कथित बिचौलियों को भी नामजद किया गया है।

कारोबारी सतीश सना ने लगाया है आरोप

बीते 15 अक्टूबर को सतीश सना की लिखित शिकायत के आधार पर मौजूदा मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ एक केस में जांच अधिकारी होने के नाते डीएसपी देवेंद्र शिकायतकर्ता को बार-बार सीबीआई दफ्तर बुलाकर उसे परेशान कर रहा था। देवेंद्र पर यह आरोप भी है कि वह क्लीन चिट की एवज में उसे पांच करोड़ रुपये की रिश्वत देने की मांग कर रहा था।

ये है सीबीआई का विवाद

सीबीआई के मौजूदा स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना समेत चार लोगों के खिलाफ खुद सीबीआई ने रिश्वत लेने का मुकदमा दर्ज कर लिया। सीबीआई ने इस मामले मे अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार पर छापा मार कर आठ मोबाइल फोन बरामद किए। डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया।

दर्ज एफआईआर में स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का नाम भी हैं जो सीबीआई में नंबर दो अधिकारी हैं। इन पर मशहूर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले में सतीश साना नाम के एक शख्स से दो करोड रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया है।

स्पेशल डायरेक्टर ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि एफआईआर उनके खिलाफ सोची समझी साजिश का हिस्सा है क्योंकि वे खुद आलोक वर्मा के भ्रष्टाचार के आरोपों की फेहरिस्त अगस्त में ही पीएमओ और सीवीसी को दे चुके थे। दो करोड़ की रिश्वत उन्होंने नहीं सीबीआई डायरेक्टर ने ली है। अब दोनों ने ही कोर्ट की शरण ली है।

 

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