जामिया मिल्लिया इस्लामिया कैंपस के पास मंगलवार को हाथ में तिरंगा लिए कुछ लोगों की भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो...’ के नारा लगाए जिसके बाद फिर से माहौल गरमा गया है। इससे पहले 30 जनवरी और 2 फरवरी को फायरिंग की वारदात हुई थी जिसमें पत्रकारिता के एक छात्र शादाब फारूख को हाथ में गोली लग गई थी।
प्रदर्शन कर रहे जामिया के छात्र हाफिज़ आजमी ने कहा, “भीड़ सुखदेव विहार की ओर से पुलिस की मौजूदगी में नारे लगाते हुए आईं। उन लोगों ने गेट नंबर- 1 पर रूककर ‘जय श्री राम और गोली मारो...’ के नारे लगाएं। भीड़ फिर नारे लगाते हुए सुखदेव विहार की ओर चली गई।"
इससे पहले 15 दिसंबर को जामिया कैंपस में हिंसा हुई थी जिसमें करीब 150 छात्र घायल हो गए थे। बता दें कि विश्वविद्यालय के गेट नंबर- 7 पर पिछले कई दिनों से सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनआरपी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
छात्रों ने अपील करते हुए कहा, "हम लोगों से बड़ी संख्या में गेट नंबर 7 पर इकट्ठा होने का आग्रह करते हैं। जामिया में स्थिति को संभालने में दिल्ली पुलिस की भूमिका संदिग्ध है।"
शख्स ने चलाई थी गोली
30 जनवरी को जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी द्वारा आयोजित एंटी-सीएए मार्च के दौरान 19 वर्षीय रामभक्त गोपाल शर्मा नाम के शख्स ने फायरिंग की थी। विरोध कर रहे छात्र मार्च को जामिया से राजघाट तक ले जा रहे थे। लेकिन, विश्वविद्यालय के निकट होली फैमिली अस्पताल के पास ही मार्च को रोक दिया गया। पकड़ा गया शख्स गौतम बुद्ध नगर जिले (उत्तर प्रदेश) के जेवर क्षेत्र का रहने वाला है। फिलहाल वह 14 दिनों की हिरासत में है। इसके बाद 2 फरवरी की देर रात करीब 11:30 बजे अज्ञात लोगों ने कैंपस के गेट नंबर-5 के पास गोली चलाई। जिसके बाद गुस्साएं छात्रों ने जामिया नगर थाने का घेराव कर दिल्ली पुलिस के विरोध में नारेबाजी की। उसके बाद चश्मदीदों के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई।
केंद्रीय मंत्री ने लगाए थे नारे
इससे पहले 27 जनवरी को रिठाला में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंच से विवादित बयान दिया था। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा था, “देश के गद्दारों को”, फिर सामने खड़ी भीड़ ने नारे लगाए, “गोली मारो...”। जिसके बाद से उन पर चुनाव आयोग ने तीन दिनों के चुनाव प्रचार पर बैन लगा दिया था। वहीं, जामिया में फायरिंग घटना के बाद सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई।