दिल्ली हाइकोर्ट ने शुक्रवार को कई मीडिया हाउसों को कठुआ में गैंग रेप के बाद मारी गई आठ वर्षीय बच्ची की पहचान उजागर करने पर नोटिस जारी कर पूछा है कि उनके खिलाफ क्यों न कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने मीडिया हाउसों को आगे की रिपोर्टों में कठुआ पीड़िता की पहचान बताने से रोक दिया है।
हाइकोर्ट ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिपोर्टों में पीड़िता की पहचान जाहिर किए जाने पर स्वत: संज्ञान लिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेच ने ने मीडिया हाउसों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए।
आठ साल की इस बच्ची को 10 जनवरी को उसके गांव रसाना के पास से अगवा कर लिया गया था। वह गांव के पास जंगल में पशु चराने गई थी। इसके बाद उसके साथ कई लोगों ने गैंगरेप किया। आरोपी उसे नशे में रखते थे। इस वारदात को अंजाम देने वालों में पुलिस अधिकारी और एक किशोर भी शामिल था।
बच्ची का शव उसके अपहरण के एक सप्ताह बाद बरामद किया गया था। इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक नाबालिग सहित सात लोगों पर आरोपपत्र दाखिल किया है। आरोपपत्र में बताया गया है कि किस तरह से बच्ची का अगवा करने के बाद नशा दिया गया और एक धर्म स्थल में मारने के पूर्व तक रेप किया गया।