झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रधान सचिव और गृह विभाग के प्रधान सचिव रह चुके भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजीव अरुण एक्का की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। महत्वपूर्ण पद पर तैनाती के दौरान एक्का द्वारा कथित तौर पर गलत तरीके से किसी दूसरे के आवास पर अनधिकृत व्यक्ति की मौजूदगी में सरकारी दस्तावेजों के निबटाने और फाइल पर साइन करने का उनपर आरोप है। इसके लिए राज्य सरकार ने झारखंड हाई कोर्ट के अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में एकल जांच आयोग का गठन किया है। आयोग ने इस मामले में आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है और लेगों से सहयोग मांगा है।
आयोग के सचिव ने सूचना जारी कर लोगों से अपेक्षा की है कि राजीव अरुण एक्का प्रकरण में प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई जानकारी रखते हों तो आयोग को सहयोग करें और 15 जून तक लिखित रूप में अपना पक्ष आयोग को दे सकते हैं। लिखित जानकारी देते समय एफिडेविट और सूचनाओं के साथ मोबाइल नंबर, ई-मेल आईडी, डाक का पूरा पता मांगा गया है। संबंधित व्यक्ति सूचना डाक से या हाथोंहाथ आबकारी भवन, कमरा नंबर-215, दूसरा तल्ला, कांके रोड, रांची- 834008 के पते पर उपलब्ध करा सकता है। सुनवाई के लिए आयोग की अगली बैठक 13 जुलाई को होगी। सूचना देने वाले को आयोग गवाही के लिए भी तलब कर सकता है।
बता दें कि बीते पांच मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कांफ्रेंस कर राजीव अरुण एक्का पर हमला किया। कहा कि यह झारखंड के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जो गृह एवं आपदा प्रबंधन विभाग के भी प्रधान सचिव हैं के काले कारनामें एवं महालूट का एक छोटा सा वीडियो क्लिप हमारे संज्ञान में आया है। कहा कि यह पिछले दिनों ईडी के छापे के बाद चर्चा में आये सत्ता के एक मशहूर दलाल विशाल चौधारी के अरगोड़ा चौक के निकट के कार्यालय का वीडियो है। राजीव अरुण एक्का वहां सरकारी फाइलें बेशर्मी से निबटा रहे हैं। बगल में जो महिला खड़ी होकर साइन करा रही है वह सरकारी कर्मचारी नहीं है। विशाल चौधरी की प्राइवेट कर्मचारी है और बगल में जिसकी आवाज आ रही है और अपने महिला कर्मचारी से किसी से पैसे नहीं आने के बारे में पूछ रहा है वह विशाल चौधरी की आवाज बताई जा रही है।
भाजपा के शिष्टमंडल ने इस सीडी के साथ राज्यपाल से भी मुलाकात कर मामले की विस्तृत जांच कराने की मांग की थी। ईडी से भी इसकी शिकायत कर मनी लॉड्रिंग के पहलुओं की जांच कराने का आग्रह किया था। भाजपा के इस आक्रमण के बाद राजीव अरुण एक्का को मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के पद से हटा दिया गया। ईडी ने राजीव अरुण एक्का को पेशी के लिए समन भेजा तो राज्य सरकार ने जांच आयोग का गठन कर दिया। मार्च के अंत में ईडी राजीव अरुण एक्का ने लंबी पूछताछ कर चुकी है।
झारखंड हाई कोर्ट के अवकाश प्राप्त मुख्य न्यायाधीश विनोद कुमार गुप्ता जिनकी अध्यक्षता में राजीव अरुण एक्का मामले की जांच के लिए आयोग का गठन किया गया है पहले भी झारखंड के बहुचर्चितरूपा तिर्की हत्या कांड और संताल में माइनिंग घोटाले की जांच के लिए इनकी अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया जा चुकी है।
गौर करने वाली बात यह भी है कि राजीव अरुण एक्का प्रकरण की जांच के लिए आयोग के गठन की अधिसूचना जारी करते हुए और बिंदुओं की तो चर्चा की मगर राजीव अरुण एक्का के नाम का जिक्र तक नहीं किया। उसमें लिखा गया कि एक छोटा सा वीडियो क्लिप में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन एक लोक सेवक द्वारा तथाकथित अधिकारी पद के दुरुपयोग से संबद्ध आरोप एवं इससे जुड़े सभी मामलों की जांच हेतु झारखंड सरकार के आदेश से सेवा निवृत्त माननीय मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया गया है।