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अफगानिस्तान पर भारत 'वेट एंड वॉच' की नीति पर कायम, बदलते हालात पर सरकार अलर्ट

अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान के पूर्ण नियंत्रण के दावे और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ...
अफगानिस्तान पर भारत 'वेट एंड वॉच' की नीति पर कायम, बदलते हालात पर सरकार अलर्ट

अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में तालिबान के पूर्ण नियंत्रण के दावे और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के चीफ फैज हमीद के काबुल दौरे ने बारत की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अफगानिस्तान की लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री आवास पर तक़रीबन दो घंटे अफ़ग़ानिस्तान के हालात पर उच्च स्तरीय बैठक हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और आयुक्त सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने हिस्सा लिया।

भारत की प्राथमिकता फंसे भारतीयों की सुरक्षित आपसी और भारत की तेईस हज़ार करोड़ की परियोजनाएं भी अफ़ग़ानिस्तान में हैं। फ़िलहाल भारत भी दुनिया के तमाम दूसरे देशों की तरह वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं।

सूत्रो में मुताबिक़ अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर ख़ासतौर पर तालिबान और पाकिस्तान स्थित तमाम आतंकी संगठनों की ओर से सम्भावित ख़तरों के मद्देनज़र आंतरिक सुरक्षा के हालात पर बातचीत हुई.।हाल ही में पाकिस्तान की तरफ़ से घुस पैठ की कोशिशों और सुरक्षा एजेंसियों की उच्चतम सतर्कता के चलते घुसपैठ को नाकाम कर दिया गया था।

ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ आधुनिक हथियारों के साथ पाकिस्तानी आतंकी पाक अधिकृत कश्मीर में पहुंच रहे हैं। पाकिस्तान लगातार इन आतंकियों को कश्मीर में घुसपैठ कराने की फ़िराक़ में है। तालिबान और पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठनों के साझा गठबंधन से भारत की आंतरिक सुरक्षा को लेकर इस बैठक में चर्चा की गई है। इसके अलावा पाकिस्तानी सेना की बटालियन और एयर फ़ोर्स के अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर में इस्तेमाल और मौजूदगी पर भी चर्चा हुई।

अफ़ग़ानिस्तान में नए सरकार के स्वरूप और उसने पाकिस्तान के दखल पर ख़ासतौर पर हक्कानी गुट को सत्ता में बड़ी हिस्सेदारी की कोशिशों और उसके प्रभाव पर भारत की पैनी नज़र बनी हुई है। दुनिया भर के देश अफ़ग़ानिस्तान पर नज़र रखे हुए हैं और भारत भी उन तमाम देशों के सम्पर्क में है। ईरान के तरफ़ से राष्ट्रपति ने इब्राहिम राइसी ने तो साफ़ कर दिया है कि वे अफ़ग़ानिस्तान में चुनी हुई सरकार को ही मान्यता देंगे तो अमेरिका सहित तमाम नाटो देश भी सभी को समाहित करने वाली सरकार चाहते हैं। ऐसे में सरकार के स्वरूप को लेकर भी चल रही रस्साकसी को लेकर भी सभी की नज़र है।

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