भारत ने अंतरिक्ष में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। चंद्रयान- 2 आज यानी मंगलवार को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी कि करीब 9.30 बजे चंद्रयान ने चंद्रमा के लॉन्चर ऑरबिट में प्रवेश किया। चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर को उतरेगा। चांद की कक्षा तक पहुंचना सिर्फ पहला पड़ाव है। कक्षा में प्रवेश करने के बाद भी चांद तक पहुंचने के लिए कुछ और महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं से गुजरना होगा।
मिशन का सबसे जटिल दौर पूरा हुआ: इसरो प्रमुख
इसरो प्रमुख डॉ. के. सिवन ने कहा कि मिशन का सबसे जटिल दौर पूरा हुआ। चंद्रयान-2 ने तय कक्षा में प्रवेश किया। सिवन ने कहा, ‘7 सितंबर को रात 1.55 बजे चंद्रयान-2 चांद की सतह पर लैंड करेगा। अगला बड़ा पड़ाव 2 सितंबर को होगा, जब लैंडर ऑर्बिटर से अलग होगा। 3 सितंबर को चंद्रयान 3 सेकंड का एक छोटी उछाल भरेगा। इससे तय हो जाएगा कि लैंडर का सिस्टम सही तरीके से काम कर रहा है।’
'अब कम करनी होगी चंद्रयान की गति'
सिवन ने कहा कि चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किलोमीटर तक रहती है। ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। नहीं तो, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर वह उससे टकरा भी सकता है। गति कम करने के लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को थोड़ी देर के लिए चालू किया जाएगा। इस दौरान एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती है। यह सिर्फ चंद्रयान-2 के लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी।
22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था लॉन्च
इससे पहले इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया के बारे बताया था कि कैसे इस चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम दिया जाएगा। इसरो के लिए यह उपलब्धि मील का पत्थर है। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
तीन हिस्सों में बंटा चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला ऑर्बिटर है, जो चांद की कक्षा में रहेगा। दूसरा लैंडर है जिसका नाम विक्रम है ये चांद की सतह पर उतरेगा और तीसरा हिस्सा है प्रज्ञान जो कि रोवर है, ये चांद की सतह पर घूमेगा।
क्या है इस मिशन की खासियत-
'चंद्रयान-2' मिशन अपने साथ भारत के 13 पेलोड और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी एक उपकरण लेकर गया है। 13 भारतीय पेलोड में से ओर्बिटर पर आठ, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो पेलोड और नासा का एक पैसिव एक्सपेरीमेंट (उपरकण) होगा।
इस मिशन का कुल वजन 3.8 टन है। यान में तीन मॉड्यूल हैं, जिसमे ऑर्बिटर, लैंडर जिसका नाम विक्रम दिया गया है और रोवर जिसका नाम प्रज्ञान दिया गया है। बता दें कि ऑर्बिटर चांद की सतह से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगाएगा। साथ ही रोवर से मिला डेटा ऑर्बिटर लेकर मिशन सेंटर को भेजेगा। ऑर्बिटर में कुल आठ पेलोड हैं।
चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले इसरो की तरफ से दिए जाएंगे जरूरी कमांड
इसरो ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर 2019 को लैंडर के उतरने से पहले इसरो की तरफ से दो जरूरी कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर की रफ्तार और दिशा में जरूरी सुधार किया जा सके। इससे लैंडर को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने में मदद मिलेगी।
इससे पहले 14 अगस्त को इसरो ने जानकारी दी थी कि चंद्रयान की सारी प्रक्रियाएं सामान्य रूप से चल रही हैं। इसरो ने कुछ दिन पहले चंद्रयान-2 से ली गई पृथ्वी की तस्वीरें भी जारी की थीं।