थेनी, तमिलनाडु में, ज्योति एक समर्पित डेयरी किसान अपनी मवेशियों की सेहत सुधारने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकी अपनाने का सपना संजो रही थी। क्षेत्र की कई महिला डेयरी किसानों की तरह उन्हें भी रोज़ाना हरे चारे को दूर-दराज से लाने की चुनौती का सामना करना पड़ता था, जिसमें खासा समय लगता था और मेहनत वाला भी था। ज्योति का सपना रंगदे के जरिए पूरा हुआ जो देश का पहला पीयर-टू-पीयर (P2P) लेंडिंग प्लेटफॉर्म है।
ज्योति ने एक हाइड्रोपोनिक फॉडर सिस्टम में निवेश किया, जो एक सोलर पावरड, स्वचालित प्रणाली है। इस तकनीकी में प्रतिदिन चार ट्रे उच्च गुणवत्ता वाले चारे का उत्पादन करती है। इस नवाचार ने मवेशियों के आहार की पोषण गुणवत्ता में सुधार किया, दूध का उत्पादन बढ़ाया और पारंपरिक खेती की विधियों पर निर्भरता को कम किया।
स्थायी कृषि-प्रौद्योगिकी को अपनाकर, ज्योति ने न केवल अपने खेत की कार्यक्षमता को सुधारा, बल्कि अपने समुदाय में आधुनिक और पर्यावरण-अनुकूल डेयरी खेती का उदाहरण भी पेश किया। इस तरह की चुनौती देश के कई माइक्रो-उद्यमियों के सामने रहती हें। पारंपरिक वित्तीय संस्थाओं की पात्रता पूरी नहीं करने के कारण उन्हें लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो गया।
पीयर-टू-पीयर (P2P) लेंडिंग प्लेटफॉर्म सामाजिक निवेशकों को उन उधारकर्ताओं से जोड़ता है जिन्हें पूंजी की जरूरत होती है। रंगदे के पारदर्शी और प्रभाव-आधारित लेंडिंग मॉडल से समर्थन प्राप्त करते हुए, ज्योति ने अपने हाइड्रोपोनिक सिस्टम में निवेश करने के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्राप्त की और अपने क्षेत्र के अन्य लोगों को बेहतर भविष्य के लिए तकनीकी अपनाने के लिए प्रेरित किया।
इसी तरह कर्नाटका के न्यू सिडेनूर के उमेश परमेशगौड़ा तेवारी पशुपालन का काम करते हैं। अपनी 4 दुधारू गायों के लिए, उन्होंने लगभग 40,000 रुपये की लागत से एक हाइड्रोग्रीन्स हाइड्रोपोनिक सिस्टम खरीदी। वहीं, कर्नाटका के हसन के निवासी आदित्य नागेश ने अपने मवेशियों के लिए हाइड्रोपोनिक हरा चारा इकाई खरीदी, ताकि वह पूरे साल हरा चारा दे सकें, न कि ऑफ-सीजन में कंसंट्रेट फीड पर निर्भर रहें। इससे मवेशियों का स्वास्थ्य बेहतर होगा और पूरे साल दूध का उत्पादन बढ़ेगा।
ज्योति की तरह, देश में कई व्यक्तियों को क्रेडिट इतिहास या संपत्ति की कमी के कारण पारंपरिक वित्तीय सुविधाएं प्राप्त नहीं होतीं। गरीब उद्यमियों के लिए, लोन तक पहुंच अक्सर एकमात्र रास्ता होता है व्यवसाय बनाने, कौशल प्राप्त करने या शिक्षा प्राप्त करने का। जब उन्हें वित्तीय सहायता के लिए अयोग्य माना जाता है, तो उनके सपने अक्सर अधूरे रह जाते हैं।
रंगदे जैसे फ्लेटफार्मों के जरिए पी2पी लेंडिंग एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाता है। हम जैसे सामान्य व्यक्ति पी2पी प्लेटफॉर्म में निवेश कर सकते हैं, जो फिर माइक्रो-उधमियों और छात्रों को पूंजी की जरूरत में लोन प्रदान करता है। निवेशक अपने योगदान पर 8% तक के रिटर्न्स की कमार कर सकते हैं। यह प्लेटफार्म आरबीआई-स्वीकृत है, और नियामक दिशानिर्देशों के अनुसार ₹10 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है। पारंपरिक लोन के मुकाबले, कम ब्याज दरें प्रदान करता है।
विल्ग्रो के चीफ ऑफ प्रोग्राम्स एंड स्ट्रेटेजी अनंत अरवामुदन ने कहा, "सच्चा प्रभाव तब होता है जब वित्तीय पहुंच और उद्यमिता की महत्वाकांक्षा मिलती हैं। रंगदे का अभिनव पी2पी लेंडिंग प्लेटफॉर्म सिर्फ पूंजी प्रदान नहीं कर रहा है - यह जमीनी स्तर पर जीवन बदल रहा है। "
2008 में स्थापित, रंगदे भारत का पहला पी2पी लेंडिंग प्लेटफॉर्म था और तब से लाखों माइक्रो-उधमियों, किसानों और छात्रों को कर्ज़ मुहैया करवा चुका है, जिससे उनके जीवन में परिवर्तन आया है। रंगदे पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए प्रभाव साझेदारों के साथ मिलकर काम करता है, जिनकी ज़मीन पर मौजूदगी होती है। ये साझेदार लोन संग्रह की जिम्मेदारी उठाते हैं और डिफ़ॉल्ट के खिलाफ गारंटी प्रदान करते हैं, जिससे सामाजिक निवेशकों के लिए जोखिम कम होता है और प्रक्रिया सुरक्षित और जिम्मेदार बनती है।