अगर दुनिया को महाविनाश बचाना है तो दो ही मार्ग हैं, एक महावीर का और दूसरा महाविनाश का। इसलिए हमें महावीर और उनकी अहिंसा को जानना और जीना होगा। आज दुनिया हिंसा के तमाम हथियार जुटाए हुए बैठी है, जो एक दिन महाविनाश का कारण बनेंगे। अगर इस महाविनाश से बचना है तो महावीर ही मात्र एक विकल्प हैं। उनकी अहिंसा, समरसता और विश्व मैत्री से ही सब कुछ ठीक हो सकता है। यह विचार जैन मुनि तरुण सागर जी की 56वीं जयंती पर उनके शिष्य पर्व सागरजी महाराज ने सोमवार 26 जून को लंदन की संसद में व्यक्त किए।
पर्व सागरजी महाराज ने लंदन की संसद में उपस्थिति को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश-दुनिया को गुरु पुष्पदंत और श्री तरूण सागर जी महाराज ने जो विशेष आशीर्वाद गुरु मंत्र दिए हैं, उनके विस्तार की ज़िम्मेदारी उनके शिष्यों की होती है। उसी जिम्मेदारी को पूरा करते हुए वे आज इस अविस्मरणीय ऐतिहासिक अवसर धर्म व रास्ट्र संस्कृति प्रभावना के गुरु मंत्र का विस्तार कर रहे हैं।
इस दौरान ब्रिटिश संसद भवन में जैनमुनि तरूण सागर जी महाराज की एक प्रतिमा का लोकार्पण हुआ व उनके कड़वे प्रवचनों पर आधारित एक अंग्रेजी की पुस्तक का लोकार्पण किया गया। ब्रिटिश सरकार का प्रीतिनिधित्व करते हुए मंत्री व सांसद ग्रेथ थॉमस ने पर्व सागरजी महाराज को उनकी विश्वमैत्री अहिंसा धर्म प्रभावना यात्रा को यूके की उपलब्धि बताया और तरूण सागर जी महाराज की 56वीं जयंती पर शुभकामनाएं देते हुए जैन धर्म व यूके के इतिहास में पहली बार जैन संत की इस यात्रा पर खुशी जाहिर की। सांसद ने सरकार की ओर से जैन संत के चरणों में सम्मान का एक प्रतीक भी समर्पित किया। इस अवसर पर हिंदू संस्कृति के प्रचार प्रसार में समर्पित सिद्धाश्रम प्रमुख संत राजराजेश्वर जी भी उपस्थित रहे।