पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों से मारपीट के मामले के बाद सूबे में चल रही चिकित्सकों की हड़ताल को लेकर केंद्र ने राज्य सरकार को एडवायजरी जारी की है। इस एडवायजरी में मामले को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी गई है। यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने ममता सरकार से 2016 से 2019 के बीच हुई राजनीतिक हिंसा को लेकर भी रिपोर्ट मांगी है। केंद्र ने ममता सरकार से पूछा है कि आखिर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने और राजनीतिक हिंसा पर लगाम कसने के लिए उन्होंने अब तक क्या किया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ममता सरकार से अब तक राजनीतिक हिंसा को रोकने, उसकी जांच और दोषियों को सजा दिलाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इस संबंध में एक रिपोर्ट देने को कहा है। गृह मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में लगातार हो रही हिंसा गंभीर चिंता का विषय है।
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा है कि डॉक्टरों पर हमले करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
इससे पहले शुक्रवार को बंगाल के बाहर भी कई राज्यों में डॉक्टरों को समर्थन मिला और दिल्ली, मुंबई समेत तमाम शहरों के बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों ने काम करने से इनकार कर दिया। देश के 19 से ज्यादा राज्यों के डॉक्टरों ने हड़ताल का खुलकर समर्थन किया है। वहीं, दिल्ली में आज भी एम्स (AIIMS) समेत 18 से ज्यादा बड़े अस्पतालों के लगभग 10 हजार डॉक्टरों ने हड़ताल का ऐलान किया है। हिंसा के शिकार साथियों के प्रति समर्थन जताते हुए बंगाल के अब तक 700 सरकारी डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है।साथ ही, पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का एक अल्टीमेटम भी जारी किया है। इस सब के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार शाम को जूनियर डॉक्टर्स की बैठक बुलाई है लेकिन हड़ताली डॉक्टर्स ने इस बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है।
‘बैठक के लिए मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर नहीं जा रहे सचिवालय’
जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त फोरम के प्रवक्ता अरिंदम दत्ता ने कहा, ममता बनर्जी को निल रतन सिरकर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आना होगा और गुरुवार को एसएसकेएम अस्पताल के दौरे के समय की गई अपनी टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगनी होगी। दत्ता ने कहा, "अगर वह एसएसकेएम में जा सकती है तो वह एनआरएस में भी आ सकती है ... वरना यह आंदोलन चलेगा।" उन्होंने कहा कि हम बैठक के लिए मुख्यमंत्री के निमंत्रण पर सचिवालय नहीं जा रहे हैं।
एम्स असोसिएशन का 2 दिन का अल्टिमेटम
हिंसा के शिकार साथियों के प्रति समर्थन जताते हुए बंगाल के 700 सरकारी डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। इस मामले से निपटने को लेकर सरकार शुक्रवार को दिशाहीन नजर आई। गुरुवार को एसएसकेएम हॉस्पिटल का दौरा करने वाली ममता बनर्जी पूरी तरह शांत रहीं। इस बीच, ज्यादातर डॉक्टरों ने काम पर वापस लौटने के लिए सीएम ममता बनर्जी की ओर से माफी मांगे जाने की भी शर्त रखी है। यही नहीं, रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एम्स) ने शनिवार को कहा, हम पश्चिम बंगाल सरकार को हड़ताली डॉक्टरों की मांगों को पूरा करने के लिए 48 घंटे का एक अल्टीमेटम जारी करते हैं, जिसमें विफल रहने पर हम एम्स में अनिश्चितकालीन हड़ताल का सहारा लेने के लिए मजबूर होंगे।
17 जून को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा
पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों पर हुई हिंसा के विरोध में इंडियन मेडिकल असोसिएशन भी हड़ताली डॉक्टरों के समर्थन में आ गया है। दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (DMA) और इंडियन मेडिकल असोसिएशन (IMA) ने देश के 19 राज्यों के डॉक्टरों ने एकसाथ मिलकर 17 जून को देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है।
सैकड़ों डॉक्टरों ने दिया इस्तीफा
हिंसा के विरोध में अबतक सैकड़ों डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि अकेले बंगाल में ही करीब 700 डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी है। कुछ राज्यों में काली पट्टी बांध तो कुछ में विरोध स्वरूप हेलमेट पहनकर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते देखे गए। डॉक्टरों की हड़ताल का सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है। कई राज्यों में ओपीडी सुविधाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं।
डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर नियंत्रण के लिए केंद्रीय कानून बनाने की मांग
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उधर देश में डॉक्टरों के शीर्ष संस्था आईएमए ने इंटर्न्स और डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर नियंत्रण के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग करते हुए कहा कि इस कानून का उल्लंघन करने वालों को सात साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए।
शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा विरोध प्रदर्शन
शुक्रवार को देशव्यापी हड़ताल के दौरान आईएमए ने यह भी कहा कि शुक्रवार से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा। इसमें डॉक्टर काले रंग के बिल्ले लगाएंगे और धरना देने के अलावा शांति मार्च निकालेंगे। आईएमए के महासचिव आरवी असोकन ने कहा कि आईएमए एनआरएस मेडिकल कॉलेज में हिंसक भीड़ का शिकार बने डॉ. परिबाहा मुखर्जी के प्रति हुई हिंसा की निंदा करता है।
आईएमए ने सोमवार को सभी चिकित्सा सेवा संस्थानों में गैर आवश्यक सेवाओं को राष्ट्रीय स्तर पर रोकने का आह्वान किया है। सुबह छह बजे से ओपीडी सेवाएं बंद कर दी जाएंगी और इस दौरान आपातकालीन सेवाएं काम करती रहेंगी।
दिल्ली के ये अस्पताल रहेंगे हड़ताल में शामिल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के जिन अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर शामिल रहेंगे, उनमें एम्स, सफदरजंग हॉस्पिटल, बाबा साहब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, हिंदूराव हॉस्पिटल, बीएमएच दिल्ली, दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल, संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स, इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज (इहबास), श्री दादा देव मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, नॉर्दन रेलवे सेंट्रल हॉस्पिटल, ईएसआईसी हॉस्पिटल, चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, गुरु तेग बहादुर हॉस्पिटल और गुरु गोविंद सिंह हॉस्पिटल समेत दूसरे अस्पताल शामिल हैं।
सीएम के सामने रखीं छह शर्ते
हड़ताली डॉक्टरों को चेतावनी देने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखकर डॉक्टरों को मनाने की कोशिश की, मगर वे हड़ताल पर अडिग हैं। उन्होंने हड़ताल खत्म करने के लिए ममता बनर्जी के सामने माफी मांगने समेत छह शर्तें रखी हैं। इनमें ममता का एनआरएस अस्पताल आकर उनसे मिलना, हमले में जख्मी डॉक्टर परिबाह मुखर्जी को देखने जाना, एसएसकेएम अस्पताल में दिए गए बयान को वापस लेना एवं अस्पतालों में डॉक्टरोंकी पर्याप्त सुरक्षा का लिखित रूप से आश्वासन देना प्रमुख हैं। इसबीच राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मसले पर विचार-विमर्श करने के लिए शुक्रवार देर शाम राजभवन बुलाया।
क्या है पूरा मामला
10 जून को पश्चिम बंगाल में कोलकाता के नील रत्न सरकार मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक व्यक्ति की मौत के बाद इस मामले ने तूल पकड़ा था। मौत से गुस्साए परिजन ने डॉक्टरों को अपशब्द कहे थे। जिसके बाद डॉक्टरों ने माफी मांगने को कहा था लेकिन बाद में मामला गर्मा गया और कुछ ही देर में भीड़ ने अस्पताल पर हथियारों सहित हमला कर दिया। इस हमले में दो जूनियर डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गए थे और कई अन्य डॉक्टरों को भी चोट आई थी, जिसके बाद जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे।