देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। सबसे बड़ा आरोप सरकार द्वारा सीबीआई के मिसयूज को लेकर है। मोदी सरकार के शासन में संवैधानिक संस्थाओं की साख भी बड़ा सवाल रही है। विवाद के चलते छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से बहाली कर सरकार को झटका दिया है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब कोर्ट ने इस तरह सरकार के फैसले को पलटा है। ऐसे में सीबीआई की साख कैसे लौटे, यह बड़ा मुद्दा है।
राज्य लगातार केंद्र सरकार पर सीबीआई के गलत इस्तेमाल का आरोप भी लगाते रहे हैं। हाल ही में सीबीआई छापों पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया और आरोप लगाया कि सरकार गठबंधन रोकने के लिए सीबीआई का इस्तेमाल कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने तो एक बार सीबीआई को ‘सरकार के पिंजड़े में बंद तोता’ तक बता दिया था। तब से यह शब्द सीबीआई के लिए इस्तेमाल होने लगा। यही आरोप लगाकर कुछ राज्यों ने सीबीआई पर रोक लगा दी है और उसकी शक्तियों को सीमित कर रखा है।
इन राज्यों ने लगा रखी है रोक
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिस्थापना अधिनियम 1976 की धारा 6 द्वारा राज्य के क्षेत्राधिकार में सीबीआई द्वारा अपनी शक्तियों के प्रयोग पर रोक लगा दी है। मसलन सीबीआई इन राज्यों में केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी उपक्रमों और निजी व्यक्तियों की जांच सीधे नहीं कर सकती तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी इन राज्यों में कोई कदम नहीं उठा सकती है।
सीबीआई अदालत ने भी खड़े किए सवाल
इससे पहले मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई अदालत ने सीबीआई को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ की जांच सीबीआई पूर्व नियोजित और पूर्व निर्धारित थ्योरी के आधार पर कर रही थी। इसका मकसद केस में नेताओं को फंसाना था। विशेष सीबीआई जज एसजे शर्मा ने 21 दिसंबर को अपने 350 पन्नों के आदेश में यह टिप्पणी की थी। अदालत ने इस फैसले में भी ‘तोते’ वाली दोहराई थी।
येद्दियुरप्पा को किया दोषमुक्त
यूपीए सरकार के दौरान भाजपा सीबीआई को कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन कहती थी। केंद्र में सत्ता बदलने के बाद अब कांग्रेस भाजपा सरकार पर सीबीआई का राजनीतिक मिसयूज करने का आरोप लगा रही है और इसे भाजपा ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टीगेशन कह रही है। कर्नाटक में भाजपा के दिग्गज नेता येद्दियुरप्पा 2011 में खनन कंपनियों से पैसा लेने के दोषी पाए गए थे। अब सीबीआई ने उन्हें दोष मुक्त कर दिया है। यही कारण है कि सीबीआई की साख लगातार गिरी है।
बसपा-सपा लगाती हैं सीबीआई के मिसयूज का आरोप
राजनीति के लिहाज से यूपी खासा अहम समझा जाता है। ऐसे में हमेशा से केंद्र की सरकारें अपने राजनीतिक हित के लिए इसे दबाती रही है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह और बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ लंबे समय से अलग-अलग आरोपों में सीबीआई जांच करती रही है जिसके चलते दोनों पार्टियां हमेशा आरोप लगाती हैं कि सीबीआई का इस्तेमाल उन्हें डराने और राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है, चाहे केंद्र में सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की।