ऐसे समय जब भारत के कुछ मुस्लिम नेताओं ने अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता हथियाने का समर्थन किया है, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने तालिबान के साथ उनका समर्थन करने वालों की भी आलोचना की है। एक बयान में मंच ने कहा है कि अफगानिस्तान के निरपराध नागरिक, महिलाएं और बच्चे तालिबानी क्रूरता के शिकार हो रहे हैं।
मंच का कहना है कि भारत के मुसलमान इस्लाम, कुरान और हदीस में विश्वास रखते हुए यह मानते हैं कि इस्लाम सबकी सलामती और महिलाओं की इज्जत चाहता है। सही इस्लाम मानने वालों को तालिबानी मानसिकता वाले कट्टरपंथी मुसलमानों के हाथों प्रताड़ित होना पड़ रहा है। मंच का कहना है कि महिलाओं और बेकसूर लोगों को मारने वाले तालिबानियों की हम घोर निंदा करते हैं।
मंच ने अपने बयान में कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी, शायर मुनव्वर राणा, सपा सांसद शफिकुर्रहमान बर्क, एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी समेत कई मुस्लिम नेताओं ने तालिबान को सही ठहराया और उनकी तुलना भारत के स्वतंत्रता सेनानियों से की है। मंच के अनुसार ऐसे लोग इस्लाम के पैरोकार नहीं हो सकते।
मंच ने यह भी कहा है कि भारत का इस्लाम शांति, सद्भाव और भाईचारा बनाए रखने वाला है। आज इसी इस्लाम को स्थापित करने की जरूरत है। मंच ने तालिबान शासन को मान्यता नहीं देने और अब तक विकास के लिए भेजे जाने वाले फंड पर आगे रोक लगाने के भारत सरकार के निर्णय का भी स्वागत किया है।