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सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली गायत्री प्रजापति को राहत

बलात्कार के आरोप में गिरफ्तारी से बच रहे उत्तर प्रदेश के मंत्री गायत्री प्रजापति आज सुप्रीम कोर्ट से किसी प्रकार की राहत पाने में विफल रहे। लेकिन न्यायालय ने इस बात पर अप्रसन्नता व्यक्त की कि सपा नेता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के उसके आदेश को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली गायत्री प्रजापति को राहत

न्यायमूर्ति एके सिकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने सिर्फ कथित सामूहिक बलात्कार और एक महिला और उसकी पुत्री से बलात्कार के प्रयास के आरोप के मामले में प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है और वह इन मामलों की निगरानी नहीं कर रहा है।

शीर्ष अदालत ने प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश वापस लेने के लिए उनकी याचिका निरस्त करते हुए कहा कि उचित राहत के लिए मंत्री संबंधित अदालत में जा सकते हैं।

न्यायालय ने 17 फरवरी को उप्र पुलिस को समाजवादी पार्टी के नेता गायत्री प्रजापति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने पुलिस को इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट आठ सप्ताह में शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में सौंपने का भी निर्देश दिया था।

पीठ ने कहा कि  हमने तो सिर्फ इन मामलों में एक प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया है परंतु अब इस आदेश को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पीठ ने कहा कि पुलिस को इस मामले की जांच करने दीजिए और वे जो कुछ भी कहना चाहे कहें।

प्रजापति के विरोधियों में उन पर तथा उनकी पार्टी पर हमला करने के लिए राज्य में विधान सभा चुनाव के प्रचार के दौरान इस मुद्दे का इस्तेमाल किया है। प्रजापति का आरोप है कि यह मामला राजनीति से प्रेरित है क्योंकि शिकायतकर्ता भाजपा से संबद्ध है।

गिरफ्तारी पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए प्रजापति ने दावा किया था कि राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत में सही संदर्भ में तथ्यों को पेश नहीं किया और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं। शीर्ष अदालत ने एक महिला की जनहित याचिका पर यह निर्देश दिया था। इस महिला का आरोप है कि प्रजापति और दूसरे लोगों ने बार-बार उससे बलात्कार किया। याचिका में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध न्यायालय से किया गया था।

 

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी थी कि उप्र पुलिस ने उसकी शिकायत, जो राज्य के पुलिस महानिदेशक को दी गई थी, पर कोई कार्रवाई नहीं की। राज्य सरकार के वकील का कहना था कि चूंकि प्रदेश में चुनाव का माहौल है, सरकार ने एक हलफनामे में कहा है कि इसलिए कथित घटना की जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकी और शिकायत दायर करने में भी विलंब हुआ है।

इस घटना का विवरण बताते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि कथित घटना पहली बार अक्टूबर, 2014 में हुई और यह सिलसिला जुलाई, 2016 तक जारी रहा परंतु जब आरोपी ने उसकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ का प्रयास किया तो उसने शिकायत दर्ज करने का निश्चय किया। प्रजापति को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पिछले साल मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था परंतु बाद में उन्हें फिर इसमें शामिल कर लिया गया था। (एजेंसी)

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